शनिवार की पूजा विधि: शनि देव की आराधना का महत्व
शनिवार का महत्व और पूजा विधि
शनिवार का दिन भगवान शनि देव को समर्पित है, जो न्याय, कर्म और अनुशासन के प्रतीक माने जाते हैं। शनि को एक कठोर गुरु के रूप में देखा जाता है, जो लोगों को उनके कर्मों के अनुसार पुरस्कृत या दंडित करते हैं। यह मान्यता है कि इस दिन शनि देव की पूजा करने से भक्त की इच्छाएं पूरी होती हैं। जो भक्त इस दिन श्रद्धा और नियम से पूजा करते हैं, उनके सभी संकट, आर्थिक परेशानियाँ और ग्रह दोष समाप्त हो जाते हैं।
धर्मशास्त्रों के अनुसार, यदि किसी की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही हो, तो शनिवार को शनि देव की विशेष पूजा से राहत मिलती है। इस दिन अपमान न करने, बाल न कटवाने और झूठ न बोलने की सलाह दी जाती है, क्योंकि ऐसा करने से शनि की कृपा कम हो जाती है।
शनि देव की पूजा के लिए शनिवार को नित्य क्रिया के बाद स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं। शनि देव को नीले फूल, तिल, तेल और उड़द की दाल अर्पित करें। इसके साथ ही, ॐ शं शनैश्चराय नमः मंत्र का 108 बार जाप करें। गरीबों और जरूरतमंदों को काला कपड़ा, तिल या तेल का दान करना भी महत्वपूर्ण है।
शनि देव की आरती
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव….
श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनि देव….
क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनि देव….
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनि देव….
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।