शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाने के पीछे के रहस्य

शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाने की परंपरा के पीछे कई पौराणिक और वैज्ञानिक कारण हैं। यह लेख शनिदेव की पूजा के महत्व, हनुमान जी की कथा, और सरसों के तेल के औषधीय गुणों पर प्रकाश डालता है। जानें कैसे इस परंपरा से भक्तों को लाभ मिलता है और शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है।
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शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाने के पीछे के रहस्य

शनिदेव की पूजा का महत्व

शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाने के पीछे के रहस्य


बहुत से लोग अपने शनि को मजबूत करने के लिए शनिवार को शनि मंदिर जाते हैं और शनिदेव को सरसों का तेल अर्पित करते हैं। यह परंपरा विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है। इसके पीछे कई पौराणिक कथाएं और वैज्ञानिक कारण मौजूद हैं। हिन्दू धर्म में शनिदेव को शनिचर का देवता माना जाता है, और उन्हें सांटनिश्चर भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है 'सज्जनों का नेता'। शनिवार को उनकी पूजा करने से भक्तों को विशेष लाभ मिलता है। इस दिन उनकी पूजा से भक्तों को शुभाशीष प्राप्त होता है। शनिदेव को नीले वस्त्र पहनाए जाते हैं, और उनका वाहन काला घोड़ा है।


पौराणिक कथा

हनुमान जी और शनिदेव की कहानी: एक प्राचीन कथा के अनुसार, जब रावण के पुत्र मेघनाथ ने शनिदेव को पराजित किया था, तब हनुमान जी ने उनकी पीड़ा को कम करने के लिए उनके शरीर पर सरसों का तेल लगाया। इससे शनिदेव को राहत मिली और वे जल्दी ठीक हो गए। तभी से शनिदेव को सरसों का तेल प्रिय माना जाने लगा। शनिदेव का रंग काला है, और सरसों का तेल भी काले रंग का होता है, इसलिए इसे चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई।


वैज्ञानिक दृष्टिकोण

सरसों के तेल में कई औषधीय गुण होते हैं। यह रक्त संचार को सुधारता है, जोड़ों के दर्द से राहत देता है, और त्वचा के लिए लाभकारी होता है। शनिदेव को 'न्याय के देवता' के रूप में जाना जाता है। माना जाता है कि सरसों का तेल चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं और भक्तों के कष्टों को दूर करते हैं।


सरसों का तेल चढ़ाने की विधि

शनिवार को स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें। एक दीपक में सरसों का तेल भरकर जलाएं और उसे शनिदेव की प्रतिमा के सामने रखें। इस दौरान ॐ शनिदेवाय नमः का जाप करें और सरसों का तेल अर्पित करें। शनिदेव को नीले फूल, काले तिल और उड़द की दाल भी अर्पित करें। आरती गाकर अपनी मनोकामना व्यक्त करें।


शनिदेव पर तेल चढ़ाने से उनकी मूर्ति चमकदार रहती है और वातावरण शुद्ध होता है। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है। पौराणिक और वैज्ञानिक दोनों दृष्टिकोण से यह माना जाता है कि इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं और भक्तों को कष्टों से मुक्ति मिलती है।