विनायक चतुर्थी 2025: जानें व्रत कथा और इसके महत्व

विनायक चतुर्थी 2025 का पर्व आज मनाया जा रहा है, जो भगवान गणेश को समर्पित है। इस दिन व्रत और पूजा करने से जीवन में सुख और समृद्धि आती है। जानें इस पर्व की व्रत कथा, जिसमें एक कुम्हार की कठिनाइयों का समाधान और भगवान गणेश की कृपा का वर्णन है। इस कथा के माध्यम से समझें कि कैसे सच्ची श्रद्धा से की गई पूजा से सभी दुख दूर हो सकते हैं।
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विनायक चतुर्थी 2025: जानें व्रत कथा और इसके महत्व

मार्गशीर्ष विनायक चतुर्थी 2025

विनायक चतुर्थी 2025: जानें व्रत कथा और इसके महत्व

विनायक चतुर्थी 2025

मार्गशीर्ष मास की विनायक चतुर्थी: आज मार्गशीर्ष महीने की विनायक चतुर्थी मनाई जा रही है। यह पर्व भगवान गणेश को समर्पित है, जिन्हें विघ्नहर्ता माना जाता है। हर महीने दो बार, कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर यह व्रत किया जाता है। कृष्ण पक्ष में संकष्टी और शुक्ल पक्ष में विनायक चतुर्थी का व्रत होता है। इस दिन विधिपूर्वक भगवान गणेश की पूजा की जाती है।

इस दिन व्रत और पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। जो व्यक्ति सच्चे मन से भगवान गणेश की आराधना करता है, उसके सभी पाप समाप्त हो जाते हैं। घर में हमेशा सुख और समृद्धि बनी रहती है। पूजा के दौरान कथा का पाठ करना भी आवश्यक है, क्योंकि इसे पढ़ने से जीवन के सभी दुख दूर हो जाते हैं। आइए, अब हम कथा पढ़ते हैं।

विनायक चतुर्थी की व्रत कथा

धार्मिक ग्रंथों में वर्णित एक प्राचीन कथा के अनुसार, एक समय राजा हरिश्चंद्र का शासन था। उनके राज्य में एक कुम्हार था, जो मिट्टी के बर्तन बनाकर अपने परिवार का पालन करता था। लेकिन उसके बर्तन हमेशा कच्चे रह जाते थे, जिससे उसकी आमदनी कम हो गई।

कुम्हार ने अपनी समस्या के समाधान के लिए एक पुजारी से संपर्क किया। पुजारी ने उसे सलाह दी कि जब भी वह बर्तन पकाए, तो उसमें एक छोटे बच्चे को डाल दे। कुम्हार ने पुजारी की बात मानी और जिस दिन उसने ऐसा किया, वह विनायक चतुर्थी का दिन था।

कुम्हार ने जिस बच्चे को आंवा में रखा, उसकी मां उसे खोज रही थी। उसने भगवान गणेश से अपने बच्चे की सुरक्षा की प्रार्थना की। अगले दिन, कुम्हार ने देखा कि उसके सभी बर्तन पक गए थे और बच्चा भी सुरक्षित था। यह देखकर वह राजा के दरबार में गया।

राजा ने कुम्हार की बात सुनी और बच्चे की मां को दरबार में बुलाया। राजा ने पूछा कि उसने ऐसा क्या किया कि उसके बच्चे को कुछ नहीं हुआ। मां ने बताया कि उसने विनायक चतुर्थी का व्रत रखा था और भगवान गणेश की पूजा की थी। इसके बाद कुम्हार ने भी विनायक चतुर्थी का व्रत शुरू कर दिया, जिससे उसके सभी कष्ट समाप्त हो गए।