यमराज की कहानी: मृत्यु के देवता और अमृत का संवाद

इस लेख में यमराज और अमृत की दिलचस्प कहानी प्रस्तुत की गई है, जिसमें मृत्यु के देवता द्वारा दिए गए संकेतों का महत्व बताया गया है। जानें कैसे अमृत ने यमराज से दोस्ती की और मृत्यु के संकेतों को अनदेखा किया। यह कहानी जीवन के अनमोल सबक सिखाती है और पाठकों को सोचने पर मजबूर करती है।
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यमराज की कहानी: मृत्यु के देवता और अमृत का संवाद

यमराज: मृत्यु के देवता

यमराज की कहानी: मृत्यु के देवता और अमृत का संवाद


यम है हम – मौत के देवता



  • कुछ नियम ऐसे होते हैं, जिन्हें सभी को मानना पड़ता है, चाहे वह कोई विशेष व्यक्ति हो या सामान्य। सृष्टि के नियमों के अनुसार, न केवल इंसान, बल्कि भगवान भी इन नियमों के अधीन होते हैं। यही कारण है कि भगवान राम और भगवान कृष्ण को भी जन्म लेकर मृत्यु का सामना करना पड़ता है। जीवन में हर व्यक्ति को अपने सपनों और इच्छाओं को पूरा करने का प्रयास करना होता है, लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि मृत्यु एक दिन हमारे दरवाजे पर दस्तक देगी।

  • मृत्यु के देवता यमराज को दक्षिण के लोकपाल के रूप में जाना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यम पहले प्राणी थे, जिनकी मृत्यु हुई थी। भगवान शिव ने उन्हें मरने वाले लोगों का शासक बनाया।

  • मृत्यु के समय, यमदूत आत्मा को स्वर्ग या नरक के द्वार पर ले जाते हैं, जहां यमराज इंसान के कर्मों के आधार पर दंड का निर्णय लेते हैं।

  • यमलोक में, यमराज इंसान के कर्मों के अनुसार स्वर्ग और नरक का फैसला करते हैं। प्राचीन शास्त्रों में कहा गया है कि यमराज ने अपने भक्त अमृत से वादा किया था कि वे हर किसी की मृत्यु से पहले सूचना देंगे, ताकि लोग अपने अधूरे काम पूरे कर सकें।


यमराज और अमृत की कहानी


  • एक समय, यमुना के किनारे अमृत नाम का एक व्यक्ति रहता था, जो यम देवता की पूजा करता था। उसे अपनी मृत्यु का भय सताता था और वह यमराज से दोस्ती करना चाहता था।

  • यमराज अमृत की तपस्या से प्रभावित हुए और जब प्रकट हुए, तो अमृत ने अमरता का वरदान मांगा। यमराज ने समझाया कि जन्म लेने वाले को एक दिन मरना होगा। अमृत ने कहा कि वह चाहता है कि जब उसकी मृत्यु निकट हो, तो उसे पहले से पता चल जाए।

  • यमराज ने अमृत को मृत्यु की पूर्व सूचना देने का वादा किया, लेकिन अमृत को भी यह वादा करना पड़ा कि वह जैसे ही संकेत पाएगा, विदाई की तैयारी करेगा। इसके बाद यमराज अदृश्य हो गए।

  • साल बीतते गए और अमृत ने यम के वादे पर विश्वास करते हुए साधना छोड़ दी और विलासितापूर्ण जीवन जीने लगा।



  1. पहला संकेत: बालों का सफेद होना।

  2. दूसरा संकेत: दांत गिरना।

  3. तीसरा संकेत: दृष्टि कमजोर होना।

  4. चौथा संकेत: कमर झुक जाना।



  • एक दिन, अमृत ने यमदूतों को देखा और परेशान होकर यमराज का पत्र खोजने लगा, लेकिन उसे कुछ नहीं मिला। जब वह यमलोक पहुंचा, तो यमराज ने मुस्कुराते हुए उसे देखा।

  • अमृत ने यमराज पर धोखा देने का आरोप लगाया। यमराज ने उत्तर दिया कि उन्होंने चार संकेत भेजे थे, लेकिन अमृत की विलासिता ने उसे अंधा बना दिया।

  • यमराज ने कहा कि जब उसके बाल सफेद हुए, वह पहला संकेत था। दांत गिरना दूसरा संकेत था, दृष्टि खोना तीसरा और शरीर के अंगों का काम करना बंद करना चौथा संकेत था। लेकिन अमृत ने इनमें से किसी भी संकेत को नहीं समझा।