मार्गशीर्ष माह 2025: पूजा विधि और धार्मिक महत्व
मार्गशीर्ष माह 2025
मार्गशीर्ष माह 2025Image Credit source: PTI
मार्गशीर्ष पूजा के लाभ: धार्मिक मान्यता के अनुसार, मार्गशीर्ष (अगहन) मास भगवान श्रीकृष्ण के लिए अत्यंत प्रिय है। इस पवित्र माह में स्नान, दान और दीपदान करने से सभी पाप समाप्त होते हैं और मोक्ष के द्वार खुलते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भगवद्गीता में कहा है कि "मासों में मैं मार्गशीर्ष हूँ"। इस माह में ब्राह्म मुहूर्त में पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है, जिससे पापों का नाश होता है और व्यक्ति की शुद्धि होती है।
मार्गशीर्ष माह की शुरुआत कब होगी? (Margashirsha Month 2025 date)
पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह का आरंभ 6 नवंबर 2025, गुरुवार से होगा। कार्तिक पूर्णिमा के अगले दिन से इस पवित्र माह की शुरुआत होती है और इसका समापन 04 दिसंबर 2025 को मार्गशीर्ष पूर्णिमा के साथ होगा।
मार्गशीर्ष माह की पूजा विधि
इस माह में भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप और भगवान विष्णु की विशेष पूजा करनी चाहिए। पूरे माह सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र स्नान करें। स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें। भगवान श्रीकृष्ण/विष्णु की प्रतिमा को पंचामृत या दूध से स्नान कराएं। उन्हें पीले वस्त्र, गोपी चंदन और तुलसी दल अर्पित करें। प्रतिदिन तुलसी की माला से कम से कम 108 बार जाप करें। श्रीमद्भगवद्गीता, विष्णु सहस्रनाम, या गजेन्द्र मोक्ष स्तोत्र का पाठ करना विशेष फलदायी माना जाता है। शाम को तुलसी माता के पास घी का दीपक जलाएं और उनकी पूजा करें।
मार्गशीर्ष माह का धार्मिक महत्व
मार्गशीर्ष माह को धर्म, ज्ञान, भक्ति और साधना का सर्वोत्तम समय माना गया है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस माह में किए गए शुभ कर्मों का फल कई गुना अधिक मिलता है।
श्रीकृष्ण का स्वरूप: भगवान श्रीकृष्ण ने इस माह को अपना स्वरूप बताया है, इसलिए यह महीना उनकी भक्ति और आराधना के लिए सर्वोत्तम है।
पापों का नाश: मान्यता है कि इस पवित्र मास में नियमपूर्वक स्नान, दान और जप-तप करने से व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं।
मोक्ष की प्राप्ति: मार्गशीर्ष मास में आत्म-शुद्धि, धर्म-कर्म और सच्ची भक्ति से मोक्ष के द्वार खुलते हैं और मनुष्य को जीवन-मरण के बंधन से मुक्ति मिलती है।
स्नान, दान और दीपदान
पवित्र स्नान (यमुना/गंगा स्नान)
महत्व: शास्त्रों में मार्गशीर्ष माह में यमुना नदी में स्नान करने का विशेष पुण्य बताया गया है।
यदि नदी में स्नान संभव न हो: तो घर पर ही स्नान के जल में गंगाजल या तुलसी की पत्तियां मिलाकर स्नान कर सकते हैं।
महादान
महत्व: इस माह में अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान करना अत्यंत पुण्यदायी माना गया है।
क्या करें दान: अन्न (जैसे चावल, दाल), वस्त्र, धन और कंबल का दान ज़रूरतमंदों को करना चाहिए।
दीपदान
महत्व: पूरे मार्गशीर्ष माह में दीपदान (दीपक जलाना) का विशेष विधान है।
कहां जलाएं दीपक?
तुलसी के पास: शाम के समय तुलसी के पौधे के पास शुद्ध देसी घी का दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है। इससे धन-धान्य की कमी दूर होती है।
मुख्य द्वार: घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर प्रतिदिन दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है और नकारात्मकता दूर होती है।
