मार्गशीर्ष अमावस्या पूजा का महत्व और मुहूर्त 2025

मार्गशीर्ष अमावस्या 2025 का महत्व जानें, जिसमें भगवान विष्णु की पूजा और पितरों के तर्पण का विशेष महत्व है। इस दिन का सही मुहूर्त और पूजा विधि जानकर अपने परिवार में सुख और समृद्धि लाने का प्रयास करें। जानें कैसे इस दिन दान और प्रार्थना से आत्मिक शुद्धि प्राप्त की जा सकती है।
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मार्गशीर्ष अमावस्या पूजा का महत्व और मुहूर्त 2025

मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास की अमावस्या तिथि को अत्यधिक शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और पितरों के तर्पण का विशेष महत्व है।


धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो भक्त इस दिन भगवान विष्णु की आराधना करते हैं, उनके घर में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है।


पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मार्गशीर्ष अमावस्या पर स्नान, दान और जप करने से न केवल पितरों को तृप्त किया जाता है, बल्कि यह जीवन से नकारात्मकता और दोषों को भी दूर करता है।


मार्गशीर्ष अमावस्या 2025 की तिथि और समय

इस वर्ष मार्गशीर्ष अमावस्या की तिथि को लेकर कुछ भ्रम है।


द्रिक पंचांग के अनुसार


अमावस्या तिथि 19 नवंबर 2025 को सुबह 9:43 बजे से शुरू होगी।


यह 20 नवंबर 2025 को दोपहर 12:16 बजे समाप्त होगी।


उदया तिथि के अनुसार, मार्गशीर्ष अमावस्या की पूजा 20 नवंबर (गुरुवार) को की जाएगी।



  • सूर्योदय का समय: सुबह 06:48 बजे

  • पितृ तर्पण का श्रेष्ठ समय: सुबह 11:30 से दोपहर 12:30 बजे तक

  • विष्णु पूजा का शुभ मुहूर्त: प्रातः 05:01 से 05:54 बजे तक


भगवान विष्णु की पूजा विधि

मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें। यदि संभव हो तो पवित्र नदी या गंगाजल से स्नान करना शुभ माना जाता है।


स्नान के बाद सूर्यदेव को अर्घ्य दें और मन में यह संकल्प लें —


“मैं भगवान विष्णु और अपने पितरों की प्रसन्नता के लिए यह पूजा कर रहा हूँ।”


पूजा स्थान को स्वच्छ करके पीले वस्त्र बिछाएं और भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।


फिर चंदन, पुष्प, अक्षत, फल, तुलसी दल और मिठाई अर्पित करें। भगवान विष्णु को जल चढ़ाते हुए नीचे दिया गया मंत्र जप करें —


“ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्।”


पितृ तर्पण का महत्व

मार्गशीर्ष अमावस्या पर पितृ तर्पण का विशेष महत्व है। तिल, कुश और जल से पितरों को तर्पण दें और “ॐ पितृदेवो नमः” मंत्र का उच्चारण करें।


तर्पण करते समय पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना शुभ माना जाता है। यह माना जाता है कि पितरों की कृपा से परिवार में शांति, धन और स्वास्थ्य बढ़ता है।


दान-पुण्य का महत्व

इस दिन किए गए दान का पुण्य कई जन्मों तक साथ रहता है। पूजा के बाद जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या दक्षिणा का दान अवश्य करें।


तिल, गुड़ और अन्न का दान सबसे शुभ माना जाता है। शाम को सूर्यास्त के बाद पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना अत्यंत शुभ होता है। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और सौभाग्य का आगमन होता है।


मार्गशीर्ष अमावस्या 2025 केवल पूजा का दिन नहीं बल्कि आत्मिक शुद्धि और पारिवारिक समृद्धि का अवसर है।


इस दिन भगवान विष्णु और पितरों की कृपा पाने के लिए श्रद्धा से पूजा करें, दान दें और प्रार्थना करें — यही इस पवित्र तिथि का सच्चा सार है।