महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय में संस्कृत सप्ताह का आयोजन
महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय में 'संस्कृत सप्ताह' का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से संस्कृत भाषा के महत्व को बढ़ावा दिया जा रहा है। कुलपति प्रो. राजबीर सिंह की देखरेख में आयोजित ये प्रशिक्षण शिविर विद्यार्थियों को संस्कृत से परिचित कराने के लिए हैं। उद्घाटन समारोह में कुलसचिव प्रो. संजय गोयल ने संस्कृत को हमारी संस्कृति का आधार बताया। शिविर का उद्देश्य विद्यार्थियों को संस्कृत को रोचक तरीके से सिखाना है।
Aug 5, 2025, 18:44 IST
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संस्कृत सप्ताह का शुभारंभ
कैथल। महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय में संस्कृत भाषा के महत्व को बढ़ावा देने और भारतीय ज्ञान-परंपरा को आम जनता तक पहुंचाने के लिए 'संस्कृत सप्ताह' के अंतर्गत कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। कुलपति प्रो. राजबीर सिंह की देखरेख में, विश्वविद्यालय के भारतीय ज्ञान-परंपरा शोध एवं प्रशिक्षण केंद्र और संस्कृत भारती के सहयोग से दो संस्कृत संभाषण प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया गया है। ये शिविर 5 अगस्त से 14 अगस्त, 2025 तक, प्रतिदिन सुबह 9:15 बजे से 10:30 बजे तक विश्वविद्यालय के टीक परिसर में चलेंगे。
उद्घाटन समारोह में कुलसचिव का संबोधन
इस अवसर पर, उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलसचिव एवं शैक्षणिक अधिष्ठाता, प्रो. संजय गोयल ने संस्कृत को भारतीय ज्ञान-परंपरा का मूल आधार बताया। उन्होंने कहा कि संस्कृत केवल एक भाषा नहीं है, बल्कि यह हमारी सभ्यता और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने संस्कृतभारती जैसे संगठनों के प्रयासों की सराहना की, जो इसे शैक्षणिक भाषा से आगे बढ़ाकर व्यवहार में लाने का कार्य कर रहे हैं। विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए, उन्होंने कहा कि उन्हें संस्कृत को अपने दैनिक जीवन में शामिल करना चाहिए और विश्वविद्यालय में ऐसा माहौल बनाना चाहिए जहाँ संस्कृत का बोलबाला हो।
संस्कृत के महत्व पर चर्चा
साहित्य संस्कृति संकाय के अध्यक्ष, डॉ. जगतनारायण ने विद्यार्थियों को संस्कृत सीखने के साथ-साथ अपने आचार-व्यवहार को संस्कारमय बनाने का संदेश दिया। उन्होंने बताया कि संस्कृत केवल व्याकरण और साहित्य तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन मूल्यों और नैतिकता को भी प्रभावित करती है। उन्होंने व्यावहारिक उदाहरणों के माध्यम से संस्कृत की प्रासंगिकता और उपयोगिता को स्पष्ट किया।
प्रशिक्षण शिविर का उद्देश्य
ये प्रशिक्षण शिविर शास्त्री, आचार्य और डिप्लोमा के विद्यार्थियों को संस्कृत से अच्छी तरह परिचित कराने के लिए आयोजित किए गए हैं। शिविर का मुख्य उद्देश्य संस्कृत को रोचक तरीके से पढ़ाना और इसकी सरलता को समझाना है। पहले दिन, विद्यार्थियों को 'खेल-खेल में' संस्कृत में अपना परिचय देने की विधि सिखाई गई। यह शिक्षण पद्धति भाषा को मनोरंजक और सुलभ बनाने पर केंद्रित है, ताकि विद्यार्थी बिना किसी बोझ के आसानी से संस्कृत सीख सकें।
शिविर का संचालन
इन प्रशिक्षण शिविरों का सफल संचालन ज्योतिष विभाग के सहायक आचार्य डॉ. नवीन शर्मा और दर्शन विभाग के सहायक आचार्य डॉ. विनय गोपाल त्रिपाठी द्वारा किया जा रहा है। वे शिविर के संयोजक के रूप में कार्य कर रहे हैं। उनके साथ संस्कृतभारती के अनुभवी कार्यकर्ता मोहित, सचिन, मंजू और अक्षय भी शिक्षकों की भूमिका में हैं, जो विद्यार्थियों को व्यावहारिक रूप से संस्कृत संभाषण का अभ्यास करा रहे हैं।
कार्यक्रम का समापन
कार्यक्रम का समापन हिंदू अध्ययन विभाग के अध्यक्ष डॉ. कृष्ण चंद्र पाण्डेय के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने सभी विद्यार्थियों को इन दस दिनों के प्रशिक्षण शिविर में अनिवार्य रूप से भाग लेने के लिए प्रेरित किया, ताकि वे इसका अधिकतम लाभ उठा सकें। इस कार्यक्रम में डॉ. रामानन्द मिश्र, डॉ. देवेन्द्र सिंह, डॉ. चन्द्रकान्त, डॉ. गोविन्द वल्लभ और डॉ. हरीश सहित विश्वविद्यालय परिवार के अन्य सदस्य भी उपस्थित रहे।