भगवान राम को रामचंद्र क्यों कहा जाता है: जानें इसके पीछे के कारण
 
                                        
                                    भगवान राम का अवतार और नामकरण
 
 
  
 प्रभु श्रीराम और माता सीता
भगवान राम को रामचंद्र क्यों कहा जाता है: भगवान श्रीराम ने त्रेता युग में अवतार लिया था और उन्हें भगवान विष्णु के सातवें अवतार के रूप में माना जाता है। उनका जन्म अयोध्या के राजा दशरथ और माता कौशल्या के घर हुआ था। श्रीराम सूर्यवंशी राजा थे और उन्हें सूर्यवंश का चंद्रमा भी कहा जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि उनके नाम के पीछे 'चंद्र' क्यों जोड़ा जाता है? इसके कई कारण हैं, आइए जानते हैं।
वाल्मीकि रामायण में भगवान श्रीराम की तुलना चंद्रमा से की गई है। यहां 'चंद्र' का अर्थ है 'चंद्रमा के समान सुंदर और मनोहर'। भगवान श्रीराम का सौम्य और शांत स्वभाव चंद्रमा की शीतलता से मेल खाता है, इसलिए उनके नाम के साथ 'चंद्र' जोड़ा जाता है।
हनुमान जी की कथा
ये है एक कथा
‘कह हनुमंत सुनहु प्रभु ससि तुम्हारा प्रिय दास।
 तव मूरति बिधु उर बसति सोइ स्यामलता आभास’।।
यह रामचरितमानस के सुंदरकांड की एक पंक्ति है, जिसमें हनुमान जी ने भगवान श्रीराम में चंद्रमा की छवि देखी थी। उन्होंने प्रभु को बताया कि चंद्रमा उनका प्रिय दास है, इसी कारण से लोग उन्हें 'रामचंद्र' कहने लगे।
श्रीराम का चंद्रमा के प्रति प्रेम
एक प्रसंग ये भी
एक अन्य कथा में बताया गया है कि बचपन में श्रीराम ने चंद्रमा को अपने पास सोते हुए देखने की इच्छा जताई थी। तब माता कौशल्या ने चंद्रमा का प्रतिबिंब एक पात्र में दिखाया, जिससे भगवान सो गए। यह घटना उनके चंद्रमा के प्रति प्रेम को दर्शाती है।
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