भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथयात्रा का समापन: नीलाद्रि बिजे अनुष्ठान
भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा ने वार्षिक रथयात्रा के 12 दिन बाद नीलाद्रि बिजे अनुष्ठान के तहत श्री जगन्नाथ मंदिर में वापसी की। यह अनुष्ठान रथयात्रा के समापन का प्रतीक है। जानें इस धार्मिक आयोजन के बारे में और कैसे देवताओं को मंदिर के गर्भगृह में ले जाया गया।
Jul 9, 2025, 10:36 IST
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भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का समापन
भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ ने वार्षिक रथयात्रा के 12 दिन बाद ‘नीलाद्रि बिजे’ नामक अनुष्ठान के तहत 12वीं सदी के श्री जगन्नाथ मंदिर में वापसी की।
‘नीलाद्रि बिजे’ अनुष्ठान रथयात्रा के समापन का प्रतीक माना जाता है।
इस वर्ष जगन्नाथ रथयात्रा 27 जून को आरंभ हुई थी, जिसमें तीनों देवता रथों पर सवार होकर मुख्य मंदिर से लगभग तीन किलोमीटर दूर स्थित श्री गुंडिचा मंदिर की ओर यात्रा पर निकले थे।
शनिवार (5 जुलाई को बहुड़ा यात्रा) से देवताओं को अपने-अपने रथों पर बैठाकर नीलाद्रि बिजे अनुष्ठान की प्रतीक्षा की गई। उन्हें एक-एक करके ‘पहांडी’ (रस्मी जुलूस) के माध्यम से मंदिर के गर्भगृह में ले जाया गया और ‘रत्न बेदी’ (पवित्र मंच) पर स्थापित किया गया।