भगवान गणेश की दो शादियों का रहस्य

भगवान गणेश, जिन्हें हिंदू धर्म में प्रथम पूज्यनीय माना जाता है, की दो शादियों के पीछे कई रोचक कहानियाँ हैं। एक समय ब्रह्मचारी रहने का संकल्प लेने के बावजूद, गणेश जी ने विवाह किया। जानिए कैसे उनके एक दांत के कारण विवाह में बाधाएँ आईं और तुलसी के श्राप ने उनकी कहानी को और दिलचस्प बना दिया। इस लेख में गणेश जी की शादियों का रहस्य और उनके महत्व को विस्तार से समझाया गया है।
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भगवान गणेश की दो शादियों का रहस्य

भगवान गणेश का महत्व

हिंदू धर्म में भगवान गणेश को सभी देवी-देवताओं में सबसे पहले पूजा जाने वाला माना जाता है। हर शुभ कार्य की शुरुआत भगवान गणेश की पूजा से होती है, चाहे वह विवाह हो या कोई अन्य अनुष्ठान।


गणेश जी की शादियों का कारण

कहा जाता है कि भगवान गणेश ने एक समय ब्रह्मचारी रहने का संकल्प लिया था, लेकिन यह संकल्प टूट गया और उन्होंने दो शादियाँ कीं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, गणेश जी की विशेष बनावट और उनके गजमुख के कारण कोई भी उनसे विवाह करने को तैयार नहीं था।


विवाह में बाधा

गणेश जी के एक दांत को भगवान परशुराम ने क्रोध में काट दिया था, जिसके बाद उन्हें एकदंत और वक्रतुण्ड के नाम से जाना जाने लगा। इस कारण से भी विवाह में बाधा उत्पन्न हुई।


तुलसी और गणेश जी

एक कथा के अनुसार, राजा धर्मात्मज की पुत्री तुलसी ने गणेश जी को देखकर विवाह का प्रस्ताव रखा, लेकिन गणेश जी ने इसे ठुकरा दिया। इसके परिणामस्वरूप तुलसी ने गणेश जी को श्राप दिया।


गणेश जी का विवाह

एक अन्य कथा में बताया गया है कि गणेश जी ने रिद्धि और सिद्धि को एक राक्षस से बचाया था, जिसके बाद भगवान शिव ने गणेश जी का रिश्ता उनके लिए तय किया। इस प्रकार भगवान गणेश की दो शादियाँ संपन्न हुईं।