प्रेमानंद महाराज का मार्गदर्शन: कामवासना से निपटने के उपाय
प्रेमानंद महाराज का संदेश
प्रेमानंद महाराज
आध्यात्मिक यात्रा पर चलने वाले साधकों को अक्सर मन में उठने वाली कामवासना, क्रोध, लोभ और मोह जैसी भावनाओं का सामना करना पड़ता है। गुरु प्रेमानंद महाराज के दरबार में भी ऐसे प्रश्न अक्सर उठते हैं। हाल ही में, सोशल मीडिया पर एक पुराना वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें एक भक्त अपनी उलझन साझा करते हुए पूछता है कि भगवान की भक्ति करते समय आंसू आते हैं, मन प्रसन्न होता है, लेकिन शारीरिक वासना खत्म नहीं हो रही। इस प्रश्न का प्रेमानंद महाराज ने गहराई और सरलता से उत्तर दिया, जो लाखों साधकों के लिए प्रेरणा बन गया है।
कामवासना: एक गंभीर आध्यात्मिक चुनौती
कामवासना कोई साधारण समस्या नहीं
प्रेमानंद महाराज ने भक्त के प्रश्न का उत्तर देते हुए कामवासना को एक साधारण विकार मानने के बजाय इसे एक बड़ी आध्यात्मिक चुनौती के रूप में परिभाषित किया।
‘एक बड़ा शत्रु’: उन्होंने कहा कि कामवासना कोई मामूली समस्या नहीं है, बल्कि यह एक बड़ा शत्रु है जो लंबे समय तक बना रहता है।
‘भगवत साक्षात्कार तक बनी रहती है’: प्रेमानंद महाराज ने बताया कि यह तब तक बनी रहती है जब तक भगवान का साक्षात्कार नहीं होता। कठिन साधना के वर्षों बाद भी यह समाप्त नहीं होती, बल्कि सूक्ष्म रूप में बनी रहती है।
भगवत स्वरूप: उन्होंने कामवासना को भगवत बल से संपन्न बताया और भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न जी का उदाहरण दिया, जो काम के अवतार के रूप में जाने जाते हैं।
कामवासना से निपटने के सुझाव
डरने की आवश्यकता नहीं
प्रेमानंद महाराज ने भक्त को सलाह दी कि इस विषय पर डरने की बजाय इसे एक सकारात्मक दृष्टिकोण से देखें। उन्होंने कहा कि कामवासना से सावधान रहना आवश्यक है, लेकिन यह भक्ति से नहीं भागेगी। यह तब तक बनी रहेगी जब तक भगवत साक्षात्कार नहीं होता। इसलिए, डरने की आवश्यकता नहीं है। यह आपको भ्रष्ट नहीं करेगी, बल्कि आपके आध्यात्मिक विकास में मदद करेगी।
महत्वपूर्ण सुझाव: महाराज ने भक्त को दो महत्वपूर्ण सुझाव दिए।
संगत का ध्यान रखें
उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों से दूरी बनाएं जिनसे भाव बिगड़ने की संभावना हो, चाहे वे स्त्री हों या पुरुष।
प्रेमानंद महाराज ने समझाया कि जब कोई भगवत प्राप्ति का लक्ष्य रखता है, तो माया इन्हीं दोषों के माध्यम से उन्हें भ्रष्ट करने का प्रयास करती है। इसलिए, संयोग या क्रिया न बनने का ध्यान रखना चाहिए।
अंत में, उन्होंने कहा: “सत्संग सुनें और भगवान के नाम का जप करें। ये दोनों चीजें आपको गिरने नहीं देंगी और सही मार्ग पर आगे बढ़ने में मदद करेंगी।”
