प्रदोष व्रत कब है: जानें पूजा विधि और फूलों का महत्व

प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत कब है: प्रदोष व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह पवित्र व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए रखा जाता है। मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा से की गई पूजा भगवान शिव के विशेष आशीर्वाद को प्राप्त करती है और परिवार में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। प्रदोष व्रत हर महीने दो बार आता है, और इस दिन भगवान शिव के साथ उनके पूरे परिवार की पूजा की जाती है। इस व्रत का पालन पूजा के बाद पूरी विधि से किया जाता है। मान्यता है कि प्रदोष व्रत के अवसर पर भगवान शिव को उनके प्रिय फूल अर्पित करना विशेष फलदायी होता है। आइए जानते हैं कि इस दिन भगवान शिव को कौन से फूल अर्पित किए जाने चाहिए।
सितंबर का पहला प्रदोष व्रत कब है?
सितंबर का पहला प्रदोष व्रत कब है:
भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 5 सितंबर को सुबह 4:08 बजे से शुरू होकर 6 सितंबर को सुबह 3:12 बजे तक रहेगी। इस प्रकार, प्रदोष व्रत शुक्रवार, 5 सितंबर को रखा जाएगा। चूंकि यह दिन शुक्रवार है, इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाएगा। इस दिन पूजा का शुभ समय शाम 6:38 बजे से 8:55 बजे तक रहेगा।
प्रदोष व्रत पर अर्पित किए जाने वाले फूल
Oleander flower:
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को ओलेन्डर फूल अर्पित करने से उन्हें बहुत खुशी मिलती है। ये फूल लाल और सफेद दोनों रंगों में होते हैं, जो बहुत शुभ माने जाते हैं।
Shami flower:
वेदों और पुराणों में शमी वृक्ष और इसके फूल को विशेष महत्व दिया गया है। प्रदोष व्रत पर भोलेनाथ को शमी का फूल अर्पित करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। यह फूल भगवान शिव का प्रिय फूल है।
Aak flower:
प्रदोष के दिन भगवान शिव को आक का फूल अर्पित करना बहुत शुभ माना जाता है। इसे शिवलिंग पर अर्पित करने से व्यक्ति की इच्छाएं पूरी होती हैं और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
Dhatura flower:
महादेव को धतूरा विशेष रूप से प्रिय है। प्रदोष व्रत पर धतूरा के फूल और फल दोनों को शिवलिंग पर अर्पित करना चाहिए। इससे पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
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