पूजा घर के लिए वास्‍तु शास्‍त्र की सही दिशा और नियम

इस लेख में पूजा घर के लिए वास्तु शास्त्र के अनुसार सही दिशा और नियमों के बारे में जानकारी दी गई है। जानें कि ईशान कोण का महत्व क्या है और पूजा करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। सही दिशा में पूजा स्थल बनाने से घर में सकारात्मकता और समृद्धि कैसे बढ़ाई जा सकती है।
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पूजा घर के लिए वास्‍तु शास्‍त्र की सही दिशा और नियम

पूजा घर का सही स्थान


वास्‍तु शास्‍त्र के अनुसार, घर के हर हिस्से के लिए उचित दिशा और स्थान निर्धारित किया गया है, जिसमें पूजा घर भी शामिल है। पूजा घर के लिए उत्तर-पूर्व दिशा को सबसे अनुकूल माना जाता है, जिसे ईशान कोण भी कहा जाता है। इस दिशा में पूजा स्थल बनाना शुभ माना जाता है, और इसके पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं।


ईशान कोण का महत्व

उत्तर-पूर्व दिशा को देवी-देवताओं की दिशा माना जाता है। इस दिशा में स्थित मंदिर घर में सकारात्मकता, सुख और समृद्धि लाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव और जल के देवता वरुण का निवास इसी दिशा में होता है। यह दिशा आध्यात्मिक उन्नति और शांति का प्रतीक है।


पूजा करते समय ध्यान रखने योग्य बातें

पूजा स्थल को ईशान कोण में बनाने के साथ-साथ यह भी सुनिश्चित करें कि पूजा करते समय आपका मुख पूर्व या उत्तर की ओर हो। इसके अलावा, ईशान कोण में पानी का टैंक, कुआं, हौज या बोरवेल बनवाना भी शुभ होता है, क्योंकि यहां वरुण देवता का वास होता है।


ईशान कोण में गलतियों से बचें

घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बनाए रखने के लिए ईशान कोण को हमेशा साफ, हवादार और हल्का रखना आवश्यक है। इस स्थान पर कचरा या भारी सामान नहीं रखना चाहिए, अन्यथा घर के लोगों की तरक्की रुक सकती है।


इसके अलावा, उत्तर-पूर्व दिशा में बाथरूम या टॉयलेट बनवाना कंगाली और बीमारियों का कारण बन सकता है। इस दिशा में बेडरूम या तिजोरी रखने से तनाव और आर्थिक तंगी बढ़ सकती है।