पुष्कर झील का निर्माण: ब्रह्मा जी की अद्भुत कथा

पुष्कर झील, जो भगवान ब्रह्मा द्वारा निर्मित मानी जाती है, राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित है। इस झील का महत्व कार्तिक पूर्णिमा के दौरान विशेष रूप से बढ़ जाता है, जब लोग यहां स्नान करने आते हैं। यह झील 52 घाटों और 300 से अधिक मंदिरों से घिरी हुई है और इसे हिंदू धर्म में पांच पवित्र झीलों में से एक माना जाता है। जानें इस झील के निर्माण की पौराणिक कथा और कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान का महत्व।
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पुष्कर झील का निर्माण: ब्रह्मा जी की अद्भुत कथा

पुष्कर झील का महत्व

पुष्कर झील का निर्माण: ब्रह्मा जी की अद्भुत कथा

पुष्कर झील

पुष्कर झील का निर्माण कैसे हुआ: राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित यह पवित्र झील, जिसे पुष्कर झील के नाम से जाना जाता है, का निर्माण भगवान ब्रह्मा द्वारा किया गया था। कार्तिक पूर्णिमा के समय इस झील पर स्नान करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। हिंदू धर्म के शास्त्रों में इस झील में स्नान करने का महत्व बताया गया है, जिससे पापों का नाश होता है।

पुष्कर झील को 52 घाटों और 300 से अधिक मंदिरों से घेर रखा गया है। इसे हिंदू धर्म में पांच पवित्र झीलों में से एक माना जाता है, जिसमें मान सरोवर, बिंदु सरोवर, नारायण सरोवर और पंपा सरोवर शामिल हैं। पुराणों में पुष्कर झील के निर्माण की कई कथाएं मिलती हैं। आइए जानते हैं कि ब्रह्मा जी के हाथों यह झील कैसे बनी।

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने एक धार्मिक अनुष्ठान के लिए एक स्थान की तलाश की। उन्होंने अपने हाथ से एक कमल का फूल गिराया, और जहां-जहां उसकी पंखुड़ियां गिरीं, वहां झीलें बन गईं। इनमें से एक पुष्कर झील है, जिसे पुष्कर सरोवर या लोटस लेक भी कहा जाता है।

कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान का महत्व

पुष्कर झील न केवल ऐतिहासिक है, बल्कि आध्यात्मिकता का भी केंद्र है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन यहां स्नान करने का विशेष महत्व है। इस दिन स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

एक मान्यता

हर साल कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर एक मेला आयोजित किया जाता है, जो 30 अक्टूबर से शुरू होकर 5 नवंबर तक चलता है। कार्तिक पूर्णिमा 4 नवंबर को है। मान्यता है कि चारधाम तीर्थ यात्रा के बाद यदि कोई व्यक्ति पुष्कर में स्नान नहीं करता है, तो उसे पुण्य फल नहीं मिलता है।