पितृ पक्ष में ब्राह्मण को भोजन कराने के नियम

पितृ पक्ष हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण समय है, जब पूर्वजों की आत्माओं की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। इस दौरान ब्राह्मण को भोजन कराने के कुछ विशेष नियम हैं, जिन्हें पालन करना आवश्यक है। यह लेख उन नियमों और उनके महत्व पर प्रकाश डालता है, जिससे आप अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान प्रकट कर सकते हैं। जानें कि किस प्रकार से ब्राह्मण को आमंत्रित करना चाहिए और उन्हें भोजन कैसे परोसना चाहिए।
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पितृ पक्ष में ब्राह्मण को भोजन कराने के नियम

पितृ पक्ष का महत्व


हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। यह 16 दिनों का समय होता है, जो भाद्रपद महीने की पूर्णिमा से लेकर आश्विन महीने की अमावस्या तक चलता है। इस दौरान श्राद्ध, तर्पण आदि क्रियाएं पूर्वजों की आत्माओं की शांति के लिए की जाती हैं। यह समय पूर्वजों के प्रति सम्मान प्रकट करने का होता है। श्राद्ध में ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है, क्योंकि बिना ब्राह्मण के भोजन के श्राद्ध का पूरा फल नहीं मिलता।


ब्राह्मण को भोजन कराने के नियम

पितृ पक्ष में ब्राह्मण को भोजन कराने के नियम

यह माना जाता है कि श्राद्ध के दौरान ब्राह्मण को दिया गया भोजन सीधे पूर्वजों तक पहुंचता है। इसके साथ ही गायों, कुत्तों और कौवों को भी भोजन कराना आवश्यक है। उज्जैन के आचार्य आनंद भारद्वाज के अनुसार, श्राद्ध के दौरान ब्राह्मण को आमंत्रित करने से लेकर उन्हें विदाई देने तक कुछ नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करना आवश्यक है।


इन नियमों का पालन करें:


- यदि आप पितृ पक्ष में ब्राह्मण को भोजन कराने जा रहे हैं, तो हमेशा एक योग्य ब्राह्मण को आमंत्रित करें जो धर्म और कर्म का पालन करता हो।


- भोजन के लिए ब्राह्मण को सम्मान के साथ आमंत्रित करें और स्पष्ट करें कि आप उन्हें श्राद्ध के लिए आमंत्रित कर रहे हैं। यह भी बताएं कि वे किसी और के पास नहीं जा रहे हैं।


- ब्राह्मण को श्राद्ध में वही भोजन परोसें जो आपके पूर्वजों या घर से संबंधित deceased व्यक्ति को पसंद था। ऐसा करने से उनकी आत्माएं संतुष्ट होती हैं।


- पितृ पक्ष में श्राद्ध हमेशा दोपहर में किया जाता है, इसलिए ब्राह्मण को भोजन के लिए दोपहर में ही आमंत्रित करें। ब्राह्मणों के लिए भोजन शुद्धता के साथ तैयार किया जाना चाहिए, और इसमें लहसुन और प्याज का उपयोग नहीं होना चाहिए।


- धार्मिक मान्यता के अनुसार, दक्षिण दिशा को पूर्वजों की दिशा माना जाता है। इसलिए, पितृ पक्ष के दौरान ब्राह्मणों को भोजन हमेशा दक्षिण की ओर मुंह करके परोसें।


- पितृ पक्ष में जब आप ब्राह्मण को आमंत्रित करते हैं और उन्हें भोजन कराते हैं, तो हमेशा ध्यान रखें कि उन्हें भोजन पीतल, तांबे, चांदी या पत्ते की थाली में परोसा जाए। लोहे या स्टील की थाली में भोजन देने की गलती न करें।


- पितृ पक्ष के दौरान ब्राह्मण को सम्मानपूर्वक भोजन कराने के बाद, विदाई के समय अपनी सामर्थ्यानुसार उन्हें कुछ दक्षिणा दें और उनका आशीर्वाद लें। जानबूझकर या अनजाने में की गई किसी भी गलती के लिए क्षमा मांगें। केवल ब्राह्मण को भोजन कराने के बाद परिवार के सदस्य प्रसाद के रूप में भोजन कर सकते हैं।


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