पापांकुशा एकादशी: एक अद्भुत कथा जो बदलती है किस्मत

पापांकुशा एकादशी एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो जीवन में पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। एक अद्भुत कथा में एक क्रूर बहेलिए की कहानी है, जिसने अपने पापों का प्रायश्चित किया और मोक्ष पाया। जानें इस व्रत का महत्व और इसे कैसे मनाना चाहिए।
 | 
पापांकुशा एकादशी: एक अद्भुत कथा जो बदलती है किस्मत

पापांकुशा एकादशी 2025 व्रत कथा

पापांकुशा एकादशी: एक अद्भुत कथा जो बदलती है किस्मत

पापांकुशा एकादशी 2025Image Credit source: AI

पापांकुशा एकादशी 2025 व्रत कथा: आज, 03 अक्टूबर को, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण व्रत, पापांकुशा एकादशी मनाया जा रहा है। इस व्रत का पालन करने से जीवन में अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप की पूजा की जाती है। इस व्रत की कथा में एक क्रूर बहेलिए का उल्लेख है, जिसने अपने जीवन में पाप किए, लेकिन एकादशी के प्रभाव से उसे स्वर्ग में स्थान मिला। यह कथा सच्ची श्रद्धा और पश्चाताप की शक्ति को दर्शाती है।


पापांकुशा एकादशी की अद्भुत बहेलिया कथा

प्राचीन काल में, विंध्य पर्वत पर क्रोधन नामक एक क्रूर बहेलिया निवास करता था। वह हिंसक, चोर और अधर्मी था, जिसने अपने जीवन में लूटपाट की और निर्दोष जीवों की हत्या की। उसके आतंक से आस-पास के लोग भयभीत रहते थे।


अंतिम समय का भय

जैसे-जैसे क्रोधन का जीवन समाप्ति की ओर बढ़ा, उसे अपने कर्मों का फल याद आने लगा। जब यमराज के दूत उसे लेने आए, तो वह डर के मारे कांपने लगा। उसे स्पष्ट था कि उसके पापों के कारण उसे नरक की यातनाएं झेलनी पड़ेंगी।


भयभीत होकर, क्रोधन भागा और महर्षि अंगिरा के आश्रम पहुंचा। वहां उसने मुनिवर के चरणों में गिरकर कहा, “हे मुनिवर! मैंने जीवन भर पाप किए हैं। अब मेरा अंतिम समय निकट है और मुझे नर्क का भय सता रहा है। कृपया मुझे ऐसा उपाय बताएं जिससे मेरे पाप समाप्त हो जाएं।”


ऋषि ने दिया मुक्ति का मार्ग

महर्षि अंगिरा ने बहेलिए की पश्चाताप को देखकर उस पर दया की। उन्होंने कहा, “हे क्रोधन! यदि तुम अपने पापों से मुक्ति चाहते हो, तो आश्विन शुक्ल पक्ष की पापांकुशा एकादशी का व्रत विधिपूर्वक करो। यह व्रत पापों को समाप्त करने में सहायक है।”


व्रत का प्रभाव और मोक्ष

महर्षि के उपदेश को मानकर, क्रोधन ने श्रद्धा से पापांकुशा एकादशी का व्रत रखा। उसने भगवान विष्णु की पूजा की और रात्रि में जागरण किया। इस व्रत के प्रभाव से उसके सभी पाप समाप्त हो गए।


जब उसका अंतिम समय आया, तो यमदूत उसे लेने नहीं आए, बल्कि भगवान विष्णु के दूत उसे स्वर्ण रथ पर लेकर गए। इस प्रकार, पापांकुशा एकादशी ने एक क्रूर बहेलिए के लिए भी मोक्ष का मार्ग प्रशस्त किया।


पापांकुशा एकादशी व्रत का महत्व

यह कथा यह दर्शाती है कि यह एकादशी कितनी फलदायी है। जो व्यक्ति इस दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा करता है, उसे सभी पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख, समृद्धि और निरोगता प्राप्त होती है।