निर्जला एकादशी: दान और उपवास का महत्व

निर्जला एकादशी का महत्व
निर्जला एकादशी, जिसे भीमसेनी एकादशी या भीम एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, वर्ष की 24 एकादशियों में सबसे महत्वपूर्ण और कठिन व्रत है। इस दिन भक्त जल का भी त्याग करते हैं।
इस पवित्र अवसर पर दान का महत्व अत्यधिक है। शास्त्रों के अनुसार, जल, अन्न, वस्त्र, फल, छाता, पंखा, बिस्तर, और शरबत का दान करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। गुप्त दान, यानी बिना किसी को बताए दान करना, और भी अधिक फलदायी होता है।
दान का महत्व और इसके लाभ
इस दिन दान का विशेष महत्व क्यों है?
पुराणों के अनुसार, जो व्यक्ति पूरे वर्ष की एकादशियों का पालन नहीं कर पाता, वह केवल निर्जला एकादशी का व्रत करके सभी व्रतों का फल प्राप्त कर सकता है। इस दिन किया गया दान अक्षय पुण्य प्रदान करता है। भूखों को भोजन कराना इस दिन का सबसे बड़ा पुण्य माना जाता है। गर्मियों में प्याऊ या मिट्टी का घड़ा देना भी पुण्यदायक है। गरीबों को कपड़े और चप्पल देने से पापों का नाश होता है, जबकि फल और मीठा शरबत देने से रोगों से मुक्ति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
इस दिन छाता और पंखा दान करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है।
गुप्त उपाय और किस्मत में बदलाव
गुप्त और चमत्कारी उपाय
वास्तु शास्त्र के अनुसार, इस दिन संध्या के समय तुलसी के नीचे घी का दीपक जलाने और भगवान विष्णु का ध्यान करने से घर में धन और सुख-शांति बनी रहती है। इस दौरान 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' का 108 बार जाप करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और मानसिक शांति मिलती है।
किस्मत बदल सकते हैं ये उपाय
शास्त्रों के अनुसार, पीले कपड़े में सिक्का लपेटकर तिजोरी में रखने से धन में वृद्धि होती है। इस दिन साफ जल में चावल डालकर चांद को अर्पित करने से घर में मानसिक तनाव, कलह और दरिद्रता दूर होती है। निर्जला एकादशी केवल उपवास का दिन नहीं है, बल्कि आत्मशुद्धि, सेवा और दान का पर्व है। इस दिन किए गए छोटे-छोटे लेकिन निष्ठापूर्ण उपाय आपकी किस्मत बदल सकते हैं।