नवरात्रि: माँ दुर्गा के 108 नामों का जाप और उनकी महिमा

नवरात्रि एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो देवी दुर्गा की पूजा के लिए मनाया जाता है। इस दौरान, भक्त माँ दुर्गा के 108 नामों का जाप करते हैं, जिसे 'अष्टोत्तर शतनामावली' कहा जाता है। यह जाप न केवल आध्यात्मिक विकास में मदद करता है, बल्कि मानसिक और शारीरिक शुद्धि भी प्रदान करता है। जानें इस जाप की विधि और इसके लाभों के बारे में।
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नवरात्रि: माँ दुर्गा के 108 नामों का जाप और उनकी महिमा

नवरात्रि का महत्व

नवरात्रि हिंदुओं का एक पवित्र त्योहार है, जो पूरे भारत में देवी दुर्गा की पूजा के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार देवी दुर्गा के रूप और दिव्य स्त्री ऊर्जा का प्रतीक है। यह नौ रातों तक चलता है, जिसमें प्रार्थना, अनुष्ठान, उपवास और भक्ति का आयोजन होता है। लोग माँ दुर्गा से शक्ति, साहस और सुरक्षा की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।


माँ दुर्गा के 108 नामों का जाप

नवरात्रि के दौरान, माँ दुर्गा के 108 नामों का जाप करना एक शक्तिशाली आध्यात्मिक अभ्यास माना जाता है, जिसे 'अष्टोत्तर शतनामावली' कहा जाता है। इस जाप से देवी दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करने की मान्यता है। 108 नामों का जाप मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करता है और आध्यात्मिक विकास के साथ-साथ भौतिक लाभ भी प्रदान करता है।


माँ दुर्गा के 108 नाम

श्री, उमा, भारती, भद्र, शर्वाणी, विजय, जय, वाणी, सर्वगतया, गौरी, वराही, कमलाप्रिया, सरस्वती, कमला, माया, मातंगी, अपारा, अजा, शंखभार्या, शिव, चंडी, कुंडलिनी, वैष्णवी, क्रिया, श्री, इंदिरा, मधुमती, गिरिजा, शुभगा, अम्बिका, तारा, पद्मावती, हंस, पद्मनाभ सहोदरी, अपर्णा, ललिता, धात्री, कुमारि, शिख्वाहिन्यै, शांभवी, सुमुखी, मैत्र्यै, त्रिनेत्र, विश्वरूपा, आर्य, मृदानी, हिन्कर्यै, क्रोधिन्यै, सुदिन्यै, अचला, सूक्ष्मा, परात्परा, शोभा, सर्ववर्णा, हरिप्रिया, महालक्ष्मी, महासिद्धि, स्वधा, स्वाहा, मनोनमि, त्रिलोकपालिनी, उद्भूत, त्रिसंध्या, त्रिपुरंतक्यै, त्रिशक्त्यै, त्रिपदायै, दुर्गा, ब्रह्मी, त्रैलोक्यवासिनी, पुष्कर, अत्रिसुता, गुहा, त्रिवर्णा, त्रिस्वरा, त्रिगुण, निर्गुण, सत्य, निर्विकल्प, निरंजन, ज्वालिन्यै, मालिनी, चरच्यै, क्रव्यदोप निवारिण्यै, कामाक्षी, कामिन्यै, कांत, कामदायै, कलहंसिनी, सलज्जा, कुलजा, प्रज्ञा, प्रभा, मदनसुंदरी, वागीश्वरी, विशालाक्षी, सुमंगली, काली, महेश्वरी, चंडी, भैरवी, bhuvaneshvari, नित्य, सनंदविभ्वयै, सत्यज्ञान, तमोपहा, महेश्वरप्रियंका, महा त्रिपुरा सुंदरी, दुर्गापरमेश्वर्यै।


जाप करने की विधि

जाप के दौरान, प्रत्येक 108 नाम 'ॐ' से शुरू होता है। देवी के नामों के अंत में 'ऐ' जोड़ा जाता है, और 'नमः' का प्रत्यय लगाया जाता है। 'ॐ' बीज मंत्र है और यह ब्रह्मांड की मूल ध्वनि का प्रतिनिधित्व करता है। 'नमः' एक अभिवादन है, जो देवी के प्रति सम्मान और समर्पण को दर्शाता है।