नवरात्रि के दसवें दिन देवी दुर्गा को दही चूड़ा अर्पित करने का महत्व

नवरात्रि के दसवें दिन देवी दुर्गा के प्रस्थान का दिन होता है, जब भक्त दही चूड़ा अर्पित करते हैं। यह परंपरा धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। जानें इस रस्म के पीछे के कारण और इसके शुभ प्रभाव।
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नवरात्रि के दसवें दिन देवी दुर्गा को दही चूड़ा अर्पित करने का महत्व

नवरात्रि का अंतिम दिन और देवी दुर्गा का प्रस्थान


नवरात्रि का दसवां दिन देवी दुर्गा के प्रस्थान का दिन माना जाता है। भक्त नौ दिनों तक देवी दुर्गा के नौ विभिन्न रूपों की पूजा करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए विभिन्न मिठाइयाँ अर्पित करते हैं।


नवरात्रि के दसवें दिन देवी दुर्गा को दही चूड़ा अर्पित करने का महत्व


क्या आप जानते हैं कि दुर्गा पूजा के दसवें दिन देवी दुर्गा को दही चूड़ा (दही और चूड़ा) अर्पित किया जाता है? इस अर्पण के पीछे कई धार्मिक और वैज्ञानिक कारण हैं। यह दिन देवी दुर्गा के प्रस्थान का प्रतीक है, और लोग नवरात्रि और जयंती पूजा के बाद देवी को दही चूड़ा अर्पित करते हैं।


दही चूड़ा का अर्पण शुभ और फलदायी माना जाता है।
दही चूड़ा अर्पित करने का मुख्य कारण यह है कि यह देवी के प्रस्थान के समय एक ठंडा अर्पण होता है। वहीं, पूर्णिया के विद्वान पंडित मनोतपाल झा बताते हैं कि नवरात्रि के दौरान भक्त देवी दुर्गा की नौ दिनों तक पूजा करते हैं, और दसवां दिन उनके प्रस्थान का दिन माना जाता है।


इस दिन देवी दुर्गा को दही और चूड़ा अर्पित करना बहुत शुभ और फलदायी माना जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि दही को शुभता का प्रतीक माना जाता है।



गौरी के प्रस्थान के दिन दही और चूड़ा अर्पित किया जाता है।


महिलाएँ देवी दुर्गा को अपनी बेटी मानती हैं, इसलिए वे दही और चूड़ा अर्पित करती हैं ताकि उनके प्रस्थान की रस्म पूरी हो सके। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, यात्रा के दौरान दही खाना बहुत शुभ और लाभकारी होता है। उन्होंने यह भी बताया कि दही पाचन के लिए वैज्ञानिक रूप से लाभकारी होता है और शरीर को ठंडा करता है। बेटी के प्रस्थान के संदर्भ में, कुछ क्षेत्रों में महिलाएँ देवी को अपनी बेटी मानती हैं और दसवें दिन दही और चूड़ा के साथ उनका स्वागत करती हैं, जैसे कि जब एक बेटी अपने घर से जाती है। यह परंपरा सदियों से प्रचलित है।


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