नरक चतुर्दशी: यमराज की आरती और महत्व
नरक चतुर्दशी का महत्व
हिंदू धर्म में नरक चतुर्दशी का पर्व अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन यमराज और हनुमान जी की पूजा की जाती है। इसे रूप चौदस और काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष, यह पर्व 19 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। नरक चतुर्दशी के अवसर पर यमराज की विशेष आराधना की जाती है और उनके लिए दीप जलाने की परंपरा है। मान्यता है कि जो लोग छोटी दिवाली पर यम देव के लिए दीप जलाते हैं, उनके घर पर यम देव की दृष्टि नहीं पड़ती। इसलिए, इस दिन धर्मराज की पूजा और उनकी आरती का विशेष महत्व है।
यम देव की आरती
धर्मराज कर सिद्ध काज,
प्रभु मैं शरणागत हूँ तेरी।
पड़ी नाव मझदार भंवर में,
पार करो, न करो देरी॥
॥ धर्मराज कर सिद्ध काज..॥
धर्मलोक के तुम स्वामी,
श्री यमराज कहलाते हो।
जों जों प्राणी कर्म करत हैं,
तुम सब लिखते जाते हो॥
अंत समय में सब ही को,
तुम दूत भेज बुलाते हो।
पाप पुण्य का सारा लेखा,
उनको बांच सुनते हो॥
भुगताते हो प्राणिन को तुम,
लख चौरासी की फेरी॥
॥ धर्मराज कर सिद्ध काज..॥
चित्रगुप्त हैं लेखक तुम्हारे,
फुर्ती से लिखने वाले।
अलग अगल से सब जीवों का,
लेखा जोखा लेने वाले॥
पापी जन को पकड़ बुलाते,
नरको में ढाने वाले।
बुरे काम करने वालो को,
खूब सजा देने वाले॥
कोई नही बच पाता न,
याय निति ऐसी तेरी॥
॥ धर्मराज कर सिद्ध काज..॥
दूत भयंकर तेरे स्वामी,
बड़े बड़े दर जाते हैं।
पापी जन तो जिन्हें देखते ही,
भय से थर्राते हैं॥
बांध गले में रस्सी वे,
पापी जन को ले जाते हैं।
चाबुक मार लाते,
जरा रहम नहीं मन में लाते हैं॥
नरक कुंड भुगताते उनको,
नहीं मिलती जिसमें सेरी॥
॥ धर्मराज कर सिद्ध काज..॥
धर्मी जन को धर्मराज,
तुम खुद ही लेने आते हो।
सादर ले जाकर उनको तुम,
स्वर्ग धाम पहुचाते हो।
जों जन पाप कपट से डरकर,
तेरी भक्ति करते हैं।
नर्क यातना कभी ना करते,
भवसागर तरते हैं॥
कपिल मोहन पर कृपा करिये,
जपता हूँ तेरी माला॥
॥ धर्मराज कर सिद्ध काज..॥