नंदी के कान में मनोकामना कहने की परंपरा: जानें इसके पीछे का रहस्य

नंदी के कान में मनोकामना कहने की परंपरा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। भक्त जब शिव मंदिर जाते हैं, तो वे नंदी के कान में अपनी इच्छाएं व्यक्त करते हैं। यह मान्यता है कि नंदी के कान में कही गई हर बात भगवान शिव तक पहुंचती है। जानें इस परंपरा के पीछे की धार्मिक मान्यताएं और इसके महत्व के बारे में।
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नंदी के कान में मनोकामना कहने की परंपरा: जानें इसके पीछे का रहस्य

नंदी के कान में मनोकामना कहने का महत्व

नंदी के कान में मनोकामना कहने की परंपरा: जानें इसके पीछे का रहस्य

नंदी के कान में मनोकामना कहती एक भक्त

नंदी के कान में मनोकामना कहने की परंपरा: नंदी बैल भगवान शिव के वाहन माने जाते हैं और इन्हें भगवान शिव के गणों में शामिल किया गया है। नंदी भगवान शिव के निकटतम हैं और मनोकामना पूर्ति के लिए भी प्रसिद्ध हैं। हर शिव मंदिर के बाहर नंदी की मूर्ति स्थापित होती है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने नंदी को आशीर्वाद दिया था कि जहां-जहां वे रहेंगे, वहां नंदी भी रहेंगे।

इसलिए, हर मंदिर में नंदी की उपस्थिति होती है। जब भक्त शिव के दर्शन के लिए जाते हैं, तो वे नंदी के कान में अपनी मनोकामना व्यक्त करते हैं। नंदी के कान में मनोकामना कहने की यह परंपरा पवित्र मानी जाती है। लेकिन इसके पीछे की धार्मिक मान्यताएं क्या हैं? आइए जानते हैं।

नंदी के कान में कहे गए शब्द शिव तक पहुंचते हैं

हिंदू परंपराओं में नंदी को भगवान शिव का द्वारपाल और संदेशवाहक माना जाता है। भक्त नंदी के कान में अपनी मनोकामना इसलिए कहते हैं क्योंकि मान्यता है कि नंदी के कान में कही गई हर बात भगवान शिव तक पहुंचती है। यह नंदी के कान में मनोकामना कहना विश्वास और आत्मीयता का प्रतीक है।

परंपरा का शास्त्रों में उल्लेख नहीं

नंदी हमेशा शिवलिंग की ओर मुंह करके स्थापित होते हैं, जो दर्शाता है कि भक्तों की मनोकामनाएं बिना किसी रुकावट के भगवान शिव तक पहुंचती हैं। हालांकि, नंदी के कान में मनोकामना कहने की इस परंपरा का उल्लेख किसी धार्मिक ग्रंथ में नहीं मिलता। यह मान्यताएं लोक परंपराओं पर आधारित हैं, जो समय के साथ भक्ति का रूप ले चुकी हैं।

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