धनतेरस 2025: यम दीपदान की परंपरा और पौराणिक कथा
धनतेरस का महत्व
धनतेरस का पर्व दीपोत्सव की शुरुआत करता है, जो भाई दूज तक चलता है। यह त्योहार कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस दिन सोने, चांदी और नए बर्तनों की खरीदारी की जाती है। भगवान धन्वंन्तरि और माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन घर में दीप जलाने और पूजा करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।
धार्मिक मान्यता
इस दिन भगवान धन्वंन्तरि और माता लक्ष्मी की पूजा से घर में समृद्धि आती है। धनतेरस की शाम को यमराज की पूजा भी की जाती है। पूजा के बाद घर के बाहर यम के नाम का दीप जलाने से यमराज प्रसन्न होते हैं और परिवार के सदस्यों की अकाल मृत्यु से रक्षा करते हैं।
यमराज की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, यमराज ने अपने दूतों से पूछा कि क्या उन्हें लोगों की मृत्यु पर दया आती है। यमदूतों ने बताया कि एक बार एक राजा के पुत्र का विवाह हुआ, लेकिन चार दिन बाद उसकी मृत्यु हो गई। इस घटना ने यमराज को भी प्रभावित किया। यमदूतों ने बताया कि अकाल मृत्यु से बचने के लिए धनतेरस पर पूजा और दीपदान करना चाहिए।