देवउठनी एकादशी: व्रत कथा और धार्मिक महत्व
देवउठनी एकादशी की कथा
देवउठनी एकादशी कथा
Dev Uthani Ekadashi Vrat Katha: आज देवउठनी एकादशी का पर्व मनाया जा रहा है, जो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर आता है। यह दिन भगवान विष्णु के योग निद्रा से जागने का प्रतीक है। इस दिन से भगवान विष्णु जागृत होते हैं, जिससे मांगलिक और शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन व्रत रखने और कथा सुनने से सभी पापों का नाश होता है और विष्णु जी की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। यदि आप भी इस दिन श्रीहरि की कृपा पाना चाहते हैं, तो इस व्रत कथा का पाठ अवश्य करें.
देवउठनी एकादशी की कथा (Dev uthani ekadashi ki katha)
देवउठनी एकादशी से जुड़ी कई व्रत कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से एक प्रमुख कथा राजा और एक स्त्री की है। दूसरी कथा में भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के बीच बातचीत का वर्णन है, जिसमें भगवान वर्षा ऋतु के दौरान चार महीने के लिए शयन करने का निर्णय लेते हैं। आइए इन दोनों कथाओं का विस्तार से अध्ययन करते हैं.
राजा और स्त्री वाली कथा
एक राज्य में एकादशी के दिन अन्न का विक्रय नहीं होता था और प्रजा फलाहार करती थी। एक दिन भगवान विष्णु ने एक सुंदर स्त्री का रूप धारण किया और सड़क पर बैठ गए। राजा उस स्त्री के सौंदर्य से मोहित होकर उसे रानी बनाने का प्रस्ताव दिया। लेकिन स्त्री ने एक शर्त रखी कि उसे राज्य का अधिकार और विशेष भोजन चाहिए.
एकादशी के दिन भगवान विष्णु ने स्त्री के रूप में राजा को मांसाहार करने के लिए मजबूर करने का प्रयास किया, लेकिन राजा ने एकादशी व्रत का हवाला दिया। फिर विष्णु स्त्री ने शर्त याद दिलाई कि यदि राजा ने खाना नहीं खाया तो वह राजकुमार का सिर काट देगी। यह सुनकर राजा ने अपनी बड़ी रानी से सलाह ली, जिन्होंने कहा कि धर्म का पालन करना चाहिए, क्योंकि पुत्र दोबारा आ सकता है, लेकिन धर्म नहीं.
राजकुमार ने यह सुनकर बलिदान की पेशकश की। तभी रानी के रूप में भगवान विष्णु प्रकट हुए और राजा की धर्मपरायणता से प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया। भगवान विष्णु ने राजा को मुक्ति और परम लोक में निवास का वरदान दिया। इसके बाद राजा ने अपना राज्य पुत्र को सौंप दिया और विमान में बैठकर स्वर्ग चले गए.
भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की कथा
एक बार माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु से कहा कि वे दिन-रात जागते रहते हैं और जब सोते हैं, तो लाखों वर्षों के लिए सो जाते हैं, जिससे समस्त सृष्टि का नाश हो सकता है। इसलिए उन्हें नियमित रूप से विश्राम करना चाहिए.
भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी की बात मानी और कहा कि वे वर्षा ऋतु के दौरान चार महीने के लिए शयन करेंगे, जिससे उन्हें भी आराम मिलेगा। भगवान विष्णु ने कहा कि उनकी यह निद्रा ‘अल्पनिद्रा’ कहलाएगी और यह उनके भक्तों के लिए मंगलकारी रहेगी। जो भी भक्त इस दौरान उनकी सेवा करेंगे, उनके घर में लक्ष्मी सहित वे निवास करेंगे.
