देव दिवाली: भगवान शिव की विजय का पर्व

देव दिवाली, जिसे देव दीपावली भी कहा जाता है, भगवान शिव की त्रिपुरासुर पर विजय का पर्व है। यह पर्व अंधकार पर प्रकाश, अधर्म पर धर्म और असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है। जानें इस पर्व का महत्व, इसकी पौराणिक कथा और कैसे यह हर वर्ष मनाया जाता है।
 | 
देव दिवाली: भगवान शिव की विजय का पर्व

देव दिवाली का महत्व

देव दिवाली: भगवान शिव की विजय का पर्व

देव दिवाली 2025Image Credit source: AI

देव दिवाली, जिसे देव दीपावली भी कहा जाता है, भगवान शिव की उस महान विजय से जुड़ा है, जब उन्होंने असुर त्रिपुरासुर का नाश कर तीनों लोकों को उसके आतंक से मुक्त किया। इस अद्भुत घटना के बाद देवताओं ने काशी नगरी में दीप जलाकर उत्सव मनाया, और तभी से यह परंपरा शुरू हुई कि कार्तिक पूर्णिमा की रात को देवता स्वयं दीप जलाते हैं।

यह पर्व केवल दीपों की रोशनी का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह अंधकार पर प्रकाश, अधर्म पर धर्म और असत्य पर सत्य की विजय का संदेश देता है, जो हर वर्ष मानवता को प्रेरित करता है।

त्रिपुरासुर का वध

त्रिपुरासुर एक अत्यंत शक्तिशाली और अभिमानी असुर था, जिसने भगवान ब्रह्मा की तपस्या कर एक वरदान प्राप्त किया था कि उसे केवल त्रिपुर संयोग नामक दुर्लभ योग में ही मारा जा सकेगा। इस वरदान के कारण उसका अहंकार इतना बढ़ गया कि उसने स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल में तीन विशाल नगरों का निर्माण किया, जिन्हें त्रिपुर नगरी कहा गया। इन नगरों में उसका आतंक फैल गया और उसने देवताओं तथा ऋषियों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया।

तीनों लोकों में भय और असंतुलन फैल गया। अंततः देवता भगवान शिव के पास पहुंचे और उनसे रक्षा की प्रार्थना की। भगवान शिव ने आश्वासन दिया कि वे उचित समय पर उसका विनाश करेंगे। जब वह दुर्लभ त्रिपुर संयोग आया, तब भगवान शिव ने अपने धनुष पिनाक से एक ही बाण चलाकर त्रिपुरासुर का वध किया और संसार में पुनः धर्म, शांति और संतुलन स्थापित किया।

देव दिवाली का आरंभ

देव दिवाली या देव दीपावली वह दिव्य पर्व है जो भगवान शिव की त्रिपुरासुर पर विजय की स्मृति में मनाया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, जब त्रिपुरासुर ने तीनों लोकों में अत्याचार बढ़ा दिए, तब भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन अपने पिनाक धनुष से एक ही बाण चलाकर उसका अंत किया। देवताओं ने इस विजय का उत्सव काशी नगरी में दीप जलाकर मनाया, जो आगे चलकर देव दिवाली कहलाया। यह पर्व केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि यह सत्य, न्याय और दिव्यता के प्रकाश से जीवन को आलोकित करने का संदेश देता है.