दिवाली पर धनलक्ष्मी पोटली बनाने की विधि और लाभ

धनलक्ष्मी पोटली कैसे बनाएं

धनलक्ष्मी पोटली कैसे बनाएं
Dhan Lakshmi Potli: दिवाली का पर्व देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने का सबसे उपयुक्त समय माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन की पूजा से माता लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न होती हैं और अपनी कृपा बरसाती हैं। भक्त इस अवसर पर विभिन्न तरीकों से मां लक्ष्मी को खुश करने का प्रयास करते हैं, जैसे पूजा, दीप जलाना और सफाई करना। इनमें से एक महत्वपूर्ण उपाय धनलक्ष्मी पोटली बनाना है। इस लेख में हम जानेंगे कि दिवाली पर धनलक्ष्मी पोटली कैसे बनाई जाती है, इसकी सामग्री क्या होती है और इसके लाभ क्या हैं।
धन लक्ष्मी पोटली क्या है?
धन लक्ष्मी एक लाल या पीले रंग की पोटली होती है, जिसमें महालक्ष्मी से संबंधित 16 वस्तुएं रखी जाती हैं। ये वस्तुएं धन को आकर्षित करने वाली मानी जाती हैं। इसे दीपावली की रात तैयार किया जाता है और फिर तिजोरी या व्यापार स्थल पर रखा जाता है।
धन लक्ष्मी पोटली बनाने का शुभ समय
पंचांग के अनुसार, धन लक्ष्मी पोटली बनाने के लिए स्थिर वृषभ लग्न का समय देखा जाता है। 20 अक्टूबर को धन लक्ष्मी पोटली बनाने का सही समय शाम 6:23 से रात 8:18 बजे तक रहेगा।
धन लक्ष्मी पोटली की सामग्री
पोटली बनाने के लिए एक साफ लाल कपड़ा लें और इसमें निम्नलिखित सामग्री रखें:
- पांच कमलगट्टे
- पांच गोमती चक्र
- पांच पीली कौड़ी
- पांच हरी इलायची
- पांच लौंग
- पांच सुपारी
- हल्दी की गांठ
- चांदी का सिक्का
- थोड़े रुपये
- साबुत धनिया
- 21 अक्षत के दाने
धन लक्ष्मी पोटली बनाने की प्रक्रिया
धन लक्ष्मी पोटली बनाने के लिए सबसे पहले एक लाल कपड़ा लें। फिर ऊपर बताई गई सभी सामग्रियों को कपड़े में रखें। इसके बाद कपड़े को अच्छे से बांध लें। दिवाली पूजा के समय इस पोटली को अवश्य रखें। अगले दिन इसे घर की तिजोरी में रख दें।
धन लक्ष्मी पोटली रखने के स्थान
- पूजा घर में
- घर की तिजोरी में
- उत्तर-पूर्व दिशा में
- व्यापार स्थल या दुकान में
- उत्तर-पश्चिम दिशा (लक्ष्मी दिशा)
धन लक्ष्मी पोटली के लाभ
धन लक्ष्मी पोटली को धन, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने वाला माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, दिवाली पर इस पोटली को बनाने से वित्तीय वृद्धि, व्यावसायिक सफलता और खुशी में वृद्धि होती है, साथ ही नकारात्मक ऊर्जा भी दूर होती है। इसे घर में रखने से व्यक्ति के जीवन में धन और आय के नए स्रोत उत्पन्न होते हैं। कहा जाता है कि इस उपाय से मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है।