दिवाली की कथा: माता लक्ष्मी की कृपा पाने का मार्ग

दिवाली का पर्व 20 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा, जो अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है। इस दिन लक्ष्मी पूजन के दौरान महालक्ष्मी माता की कथा का पाठ करने से जीवन में सुख और समृद्धि आने की मान्यता है। जानें दिवाली से जुड़ी पौराणिक कथाएं, जिसमें श्री राम की वापसी और महालक्ष्मी की भक्ति की कहानी शामिल है।
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दिवाली की कथा: माता लक्ष्मी की कृपा पाने का मार्ग

दिवाली की पौराणिक कथा

दिवाली की कथा: माता लक्ष्मी की कृपा पाने का मार्ग

दिवाली कथा

दिवाली की कथा हिंदी में: दीपावली का यह पावन पर्व 20 अक्टूबर 2025 को पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाएगा। हर साल कार्तिक अमावस्या को मनाए जाने वाला यह पर्व अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है। इस दिन शाम को लक्ष्मी पूजन का आयोजन भी किया जाता है। दिवाली के अवसर पर लक्ष्मी पूजा के दौरान महालक्ष्मी माता की कथा का पाठ करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस कथा का पाठ करने से जीवन में सुख और समृद्धि आती है। आइए, जानते हैं दिवाली की कथा।

दिवाली की पौराणिक कथा

दिवाली से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें सबसे प्रसिद्ध श्री राम की वापसी और महालक्ष्मी की कथा है। श्री राम की कथा के अनुसार, 14 वर्षों के वनवास के बाद कार्तिक मास की अमावस्या को श्री राम अयोध्या लौटे थे। इस खुशी में अयोध्यावासियों ने दीप जलाए, जिससे दिवाली मनाने की परंपरा शुरू हुई। वहीं, महालक्ष्मी की कथा में एक साहूकार की बेटी की भक्ति से प्रसन्न होकर महालक्ष्मी ने उसे अपनी सखी बना लिया और उसके घर में सुख-समृद्धि का वास किया।

भगवान राम की दिवाली की कथा

त्रेता युग में, श्री राम ने 14 साल का वनवास पूरा कर कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे। अयोध्यावासियों ने श्री राम के लौटने की खुशी में दीप जलाकर उनका स्वागत किया। इस प्रकार दिवाली मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई, जो अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है।

महालक्ष्मी की दिवाली की कथा

एक समय एक साहूकार था, जिसकी एक पुत्री थी। वह रोज पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाती थी, जहां महालक्ष्मी का निवास था। महालक्ष्मी उस लड़की की भक्ति से प्रसन्न होकर उसकी सहेली बन गईं। जब लक्ष्मी जी ने उसे अपने घर भोजन के लिए आमंत्रित किया, तो उसने अपने पिता से अनुमति ली।

पिता की अनुमति से लड़की ने अपने घर को अच्छे से सजाया और महालक्ष्मी को साधारण भोजन कराया। महालक्ष्मी भोजन से बहुत प्रसन्न हुईं और साहूकार के घर को धन-धान्य से भर दिया। यह कथा यह दर्शाती है कि देवी लक्ष्मी श्रद्धा और भक्ति से प्रसन्न होती हैं और घर में सुख-समृद्धि लाती हैं।

इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है।