तुलसी विवाह 2025: शालिग्राम जी की आरती से पाएं पूर्ण फल

तुलसी विवाह 2025 का पर्व आज मनाया जा रहा है, जिसमें माता तुलसी का विवाह भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप से किया जाएगा। इस विशेष अवसर पर आरती का महत्व अत्यधिक है। जानें कैसे शालिग्राम जी की आरती करने से पूजा का पूरा फल प्राप्त होता है। इस लेख में तुलसी विवाह की पौराणिक कथा और आरती के बोल भी शामिल हैं।
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तुलसी विवाह 2025: शालिग्राम जी की आरती से पाएं पूर्ण फल

तुलसी विवाह का महत्व

तुलसी विवाह 2025: शालिग्राम जी की आरती से पाएं पूर्ण फल

तुलसी विवाह 2025

शालिग्राम जी की आरती के बोल: आज तुलसी विवाह का पर्व मनाया जा रहा है। इस अवसर पर शाम को तुलसी विवाह का आयोजन होगा। इस समारोह में माता तुलसी का विवाह भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप से किया जाता है। वास्तविक विवाह की तरह, इसमें हल्दी, मेहंदी, जयमाला और फेरे जैसी रस्में निभाई जाती हैं। एक प्राचीन कथा के अनुसार, माता तुलसी असुरराज जलंधर की पत्नी वृंदा थीं।

भगवान विष्णु ने जलंधर के वध के लिए वृंदा का सतीत्व भंग किया, जिसके परिणामस्वरूप जलंधर का अंत भगवान शिव के हाथों हुआ। वृंदा भगवान विष्णु की भक्त थीं, लेकिन अपने पति की मृत्यु की खबर सुनकर उन्होंने आत्मदाह कर लिया। इस घटना के बाद वहां तुलसी का पौधा उग आया। भगवान विष्णु ने आशीर्वाद दिया कि उनके शालिग्राम अवतार के साथ तुलसी का विवाह होगा। विष्णु पूजा में तुलसी का होना अनिवार्य है, इसलिए माता तुलसी का भगवान शालिग्राम के साथ विवाह किया जाता है। तुलसी विवाह के दिन माता तुलसी की आरती के साथ शालिग्राम भगवान की आरती भी अवश्य करनी चाहिए। ऐसा करने से पूजा का पूरा फल प्राप्त होता है। यहां आरती के बोल पढ़ें।

श्री शालिग्राम जी की आरती (Shaligram Ji Ki Aarti)

शालिग्राम सुनो विनती मेरी ।
यह वरदान दयाकर पाऊं ॥

प्रात: समय उठी मंजन करके ।
प्रेम सहित स्नान कराऊँ ॥

चन्दन धुप दीप तुलसीदल ।
वरन -वरण के पुष्प चढ़ाऊँ ॥

तुम्हरे सामने नृत्य करूँ नित ।
प्रभु घंटा शंख मृदंग बजाऊं ॥

चरण धोय चरणामृत लेकर ।
कुटुंब सहित बैकुण्ठ सिधारूं ॥

जो कुछ रुखा सूखा घर में ।
भोग लगाकर भोजन पाऊं ॥

मन वचन कर्म से पाप किये ।
जो परिक्रमा के साथ बहाऊँ ॥

ऐसी कृपा करो मुझ पर ।
जम के द्वारे जाने न पाऊं ॥

माधोदास की विनती यही है ।
हरी दासन को दास कहाऊं ॥

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