जैन धर्म में सूर्यास्त के बाद भोजन न करने के पीछे के कारण

जैन धर्म में सूर्यास्त के बाद भोजन न करने की परंपरा के पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक कारणों की चर्चा की गई है। इस लेख में जानें कि कैसे यह परंपरा जीव हत्या से बचने और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। जैन अनुयायी इस परंपरा का पालन क्यों करते हैं और इसके पीछे क्या तर्क हैं, जानने के लिए पूरा लेख पढ़ें।
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जैन धर्म में सूर्यास्त के बाद भोजन न करने के पीछे के कारण

जैन धर्म की परंपराएँ और सूर्यास्त के बाद भोजन


भारत में विभिन्न धर्मों और जातियों के लोग एक साथ रहते हैं, और हर धर्म की अपनी विशेष परंपराएँ और मान्यताएँ होती हैं। इनमें से कुछ धार्मिक मान्यताएँ वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हैं। जैन धर्म की बात करें तो इसकी उत्पत्ति भारत में हुई है, और इसे कई लोग सनातन धर्म की एक शाखा मानते हैं। समय के साथ, यह एक अलग धर्म के रूप में विकसित हुआ है। जैन धर्म में कई परंपराएँ हैं, जिनमें से एक यह है कि सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करना चाहिए।


जैन धर्म में सूर्यास्त के बाद भोजन न करने के पीछे के कारण


जैन धर्म के अनुयायी केवल अपने धर्म के कारण ही नहीं, बल्कि आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से भी सूर्यास्त के बाद भोजन न करने की सलाह देते हैं।


जैन धर्म में सूर्यास्त के बाद भोजन न करने के पीछे के कारण


सूर्यास्त के बाद भोजन न करने के कारण


1. जीव हत्या से बचने के लिए: जैन धर्म में अहिंसा का पालन अत्यंत महत्वपूर्ण है। जैन अनुयायी किसी भी जीव की हत्या से बचने का प्रयास करते हैं। सूर्यास्त से पहले भोजन करने का एक कारण यह है कि रात में सूक्ष्म जीवों की संख्या बढ़ जाती है।


जैन धर्म में सूर्यास्त के बाद भोजन न करने के पीछे के कारण


यदि रात में भोजन किया जाए, तो संभावना होती है कि ये सूक्ष्म जीव भोजन में मिल जाएं, जिससे जीव हत्या हो सकती है। इसलिए जैन धर्म में रात को भोजन करने से मना किया गया है।


2. स्वास्थ्य के लिए: स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी सूर्यास्त से पहले भोजन करना फायदेमंद होता है। कहा जाता है कि सूर्यास्त के बाद पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। पाचन तंत्र की तुलना कमल के फूल से की जाती है, जो सूर्योदय के साथ खिलता है और सूर्यास्त के साथ बंद हो जाता है।


जैन धर्म में सूर्यास्त के बाद भोजन न करने के पीछे के कारण


इसी तरह, पाचन तंत्र भी सूर्य की रोशनी में सक्रिय रहता है, जबकि सूर्यास्त के बाद यह बंद हो जाता है। यदि सूर्यास्त के बाद भोजन किया जाए, तो वह पाचन तंत्र में ठीक से नहीं समाहित हो पाता, जिससे शरीर को आवश्यक ऊर्जा नहीं मिलती।


जैन धर्म में सूर्यास्त के बाद भोजन न करने के पीछे के कारण


जल्दी भोजन करने का एक और लाभ यह है कि यह रात को सोने से पहले अच्छे से पच जाता है। चिकित्सक भी सलाह देते हैं कि खाने के तुरंत बाद नहीं सोना चाहिए। इसलिए शाम को भोजन करना एक अच्छा विकल्प है।