चाय बैग्स के स्वास्थ्य पर खतरे: कैंसर और बांझपन का बढ़ता जोखिम
चाय बैग्स से स्वास्थ्य पर खतरे
भारत में चाय पीना एक सामान्य प्रथा है, लेकिन हाल के शोध ने यह संकेत दिया है कि चाय बैग्स स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। एक अध्ययन में यह सामने आया है कि चाय बैग्स से निकलने वाले माइक्रोप्लास्टिक्स कैंसर और बांझपन जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
बार्सिलोना की यूनिवर्सिटेट ऑटोनोमा के वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में पाया कि जब चाय बैग्स को गर्म पानी में डुबोया जाता है, तो अरबों की संख्या में माइक्रोप्लास्टिक्स निकलते हैं। ये छोटे प्लास्टिक के कण मानव शरीर में प्रवेश कर सकते हैं और स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं।
शोधकर्ताओं ने तीन प्रकार के चाय बैग्स का परीक्षण किया: नायलॉन, पॉलीप्रोपलीन और सामान्य सुपरमार्केट चाय बैग्स। 95°C के पानी में डुबोने पर, पॉलीप्रोपलीन बैग्स ने प्रति मिलीलीटर 1.2 बिलियन माइक्रोप्लास्टिक्स छोड़े, जबकि नायलॉन बैग्स ने 8.18 मिलियन माइक्रोप्लास्टिक्स का उत्सर्जन किया।
अध्ययन में यह भी पाया गया कि माइक्रोप्लास्टिक्स शरीर के आंतरिक अंगों में जमा हो सकते हैं, जिससे आंतों की दीवारों को नुकसान और कोशिकाओं में डीएनए को प्रभावित करने का खतरा होता है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि ये कण कैंसर, बांझपन और आंतों की बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
एक चीनी अध्ययन के अनुसार, माइक्रोप्लास्टिक्स फूड आंतों की सुरक्षा परत को कमजोर कर सकते हैं और कैंसर सेल्स के फैलने की गति को बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा, ये पुरुषों के स्पर्म की गतिशीलता को भी प्रभावित कर सकते हैं।
प्लास्टिक हेल्थ काउंसिल की सह-संस्थापक मारिया वेस्टरबोस ने कहा कि वैज्ञानिक बार-बार प्लास्टिक के खतरों के बारे में चेतावनी दे रहे हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि लोगों को प्लास्टिक के चाय बैग्स के बजाय पारंपरिक ढीली चाय का उपयोग करना चाहिए और चाय बनाते समय कांच या स्टील के बर्तनों का प्रयोग करना चाहिए।