गोपाष्टमी 2025: गौ माता को खिलाने के लिए सर्वोत्तम भोग

गोपाष्टमी 2025 का पर्व गौ माता की पूजा और सेवा के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन गौ माता को खिलाने के लिए कुछ विशेष चीजें होती हैं, जो उनके लिए लाभकारी मानी जाती हैं। जानें कब है गोपाष्टमी, गौ माता को क्या खिलाना चाहिए और पूजा की विधि। इस पर्व के लाभ भी जानें, जो आपके जीवन में सकारात्मकता लाएंगे।
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गोपाष्टमी 2025: गौ माता को खिलाने के लिए सर्वोत्तम भोग

गोपाष्टमी 2025 का महत्व

गोपाष्टमी 2025: गौ माता को खिलाने के लिए सर्वोत्तम भोग

गोपाष्टमी 2025

गोपाष्टमी का पर्व: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी मनाई जाती है। यह दिन गौ माता की पूजा और सेवा के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इस दिन गौ माता की पूजा करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि गौ माता में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है, जिससे उनकी पूजा से सभी दुख दूर होते हैं और इच्छाएं पूरी होती हैं।

गोपाष्टमी के अवसर पर गौ माता को कुछ विशेष चीजें खिलाना आवश्यक है। यह ध्यान रखना चाहिए कि जो चीजें दी जाएं, वे उनके लिए लाभकारी हों। मान्यता है कि इस दिन गौ माता को खिलाने से बिगड़े काम बन जाते हैं। आइए जानते हैं इस दिन गौ माता को क्या खिलाना चाहिए।


गोपाष्टमी कब है?

गोपाष्टमी 2025 की तिथि

पंचांग के अनुसार, इस वर्ष कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 29 अक्टूबर को सुबह 09:23 बजे शुरू होगी और 30 अक्टूबर को सुबह 10:06 बजे समाप्त होगी। इसलिए, गोपाष्टमी का पर्व 30 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन सूर्योदय के बाद 10:06 बजे तक पूजा करना शुभ रहेगा।


गौ माता को खिलाने के लिए भोग

गौ माता को क्या खिलाएं

  • गौ माता को हरी घास या ताजा चारा दें।
  • गुड़, रोटी और चना जैसे अनाज भी खिलाएं।
  • फल में केला और सेब देना अच्छा रहेगा।


गौ माता की पूजा विधि

पूजा की प्रक्रिया

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और गौ माता को साफ पानी से नहलाएं। उनके माथे पर रोली और चंदन लगाएं, फिर फूल चढ़ाएं और प्यार से भोग अर्पित करें। गौ माता को जबरदस्ती कुछ न खिलाएं, उन्हें आराम से खाने दें। भोग के बाद उनकी आरती करें और चारों ओर घूमकर प्रणाम करें।


गोपाष्टमी के लाभ

गोपाष्टमी की पूजा से होने वाले लाभ

गोपाष्टमी के दिन पूजा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और रुके हुए काम बन जाते हैं। परिवार में खुशियों का आगमन होता है और दया तथा भक्ति की भावना बढ़ती है।