गुरु पुष्य योग: ज्योतिष में इसका महत्व और लाभ

गुरु पुष्य योग एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय संयोग है, जो गुरुवार को पुष्य नक्षत्र के पड़ने पर बनता है। यह योग सभी के लिए लाभकारी होता है और इस दौरान किए गए कार्य स्थायी फल देते हैं। जानें कि गुरु पुष्य योग का निर्माण कैसे होता है, इसके लाभ क्या हैं, और इस योग में किए जाने वाले शुभ कार्यों के बारे में। यह योग जीवन में खुशहाली और समृद्धि लाने में सहायक होता है।
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गुरु पुष्य योग: ज्योतिष में इसका महत्व और लाभ

गुरु पुष्य योग का महत्व

नई दिल्ली: कुंडली में गुरु पुष्य योग का विशेष महत्व है। क्या आप जानते हैं कि यह योग कब बनता है और इसके निर्माण की प्रक्रिया क्या है? ज्योतिष के अनुसार, गुरु पुष्य योग एक दुर्लभ और अत्यंत शुभ संयोग है, जो गुरुवार को पुष्य नक्षत्र के पड़ने पर उत्पन्न होता है। यह एक गोचर योग है, जो सभी के लिए लाभकारी होता है। इस दौरान किए गए शुभ कार्य स्थायी और फलदायी होते हैं। इसके अतिरिक्त, इस योग में किए गए उपाय जीवन में खुशहाली लाते हैं और आने वाली परेशानियों से राहत दिलाते हैं.


गुरुवार और पुष्य नक्षत्र का संबंध

ज्योतिष के अनुसार, गुरु पुष्य योग के लिए गुरुवार का होना आवश्यक है, क्योंकि यह दिन देवगुरु बृहस्पति से जुड़ा है। पुष्य नक्षत्र, जो 27 नक्षत्रों में से आठवां है, को नक्षत्रों का राजा माना जाता है। जब गुरुवार और पुष्य नक्षत्र एक साथ आते हैं, तो गुरु पुष्य योग का निर्माण होता है, जिसे गुरुपुष्यामृत योग भी कहा जाता है.


गुरु पुष्य योग का प्रभाव

गुरु पुष्य योग किसी विशेष व्यक्ति की कुंडली में नहीं बनता, बल्कि यह गोचर का योग है। इसका निर्माण आकाश में ग्रहों और नक्षत्रों की विशेष स्थिति के कारण होता है और यह सभी के लिए एक निश्चित समय के लिए प्रभावी होता है। गुरुवार का दिन बृहस्पति ग्रह से संबंधित है, जो ज्ञान, धन, धर्म, भाग्य और विस्तार का कारक है। पुष्य नक्षत्र के देवता बृहस्पति और स्वामी शनि देव हैं, जिससे यह शनि प्रधान होते हुए भी गुरु जैसी प्रकृति का होता है.


गुरु पुष्य योग में किए जाने वाले कार्य

ऐसी मान्यता है कि गुरु पुष्य योग में किए गए कार्य या खरीदी गई वस्तुएं अक्षय फल देती हैं, यानी उनका प्रभाव लंबे समय तक बना रहता है। इस दिन सोना, चांदी, गहने, वाहन, घर, जमीन, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि खरीदना बहुत शुभ माना जाता है। व्यापार शुरू करना, विद्या आरंभ करना, नए सौदे करना, गृह प्रवेश करना, या कोई भी नया और महत्वपूर्ण काम शुरू करना इस योग में बहुत लाभकारी होता है। इस योग में माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करने से धन-संपत्ति में बढ़ोत्तरी होती है, और यह जीवन में शांति, समृद्धि और खुशियों का संचार करता है.