गुरु नानक जयंती 2025: मुग़ल शासक बाबर के सामने बाबा नानक की साहसिकता
गुरु नानक जयंती 2025 के अवसर पर, जानें बाबा नानक की साहसिकता और उनके द्वारा किए गए अत्याचारों के खिलाफ खड़े होने की कहानियाँ। मुग़ल शासक बाबर के सामने उनकी निर्भीकता और सत्य के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को समझें। यह लेख आपको बाबा नानक के जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों से परिचित कराएगा, जो आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं।
| Nov 5, 2025, 07:47 IST
गुरु नानक जयंती 2025
गुरू नानक जयंती 2025
प्रकाश पर्व 2025: बाबा नानक केवल एक साधु या संत नहीं थे, बल्कि वे एक महान योद्धा भी थे। जब अत्याचार की बात आती है, तो बाबा नानक हमेशा उसके खिलाफ खड़े होते थे और किसी भी शासक को उसकी गलतियों के लिए जवाबदेह ठहराने से नहीं चूकते थे, चाहे वह मुग़ल शासक बाबर ही क्यों न हो। आइए इस गुरु पर्व के अवसर पर जानते हैं बाबा नानक की कुछ ऐसी कहानियाँ, जिन्होंने समाज को नई दिशा दी।
जब मलिक भागो का टूटा अभिमान
बाबा नानक ने सत्य और मेहनत की महत्ता को समझाने के लिए एक धनी साहूकार, मलिक भागो, का घमंड तोड़ा। जब बाबा नानक तीर्थ यात्रा पर थे, तो वे एक गरीब बढ़ई, भाई लालो, के घर पहुंचे। भाई लालो का गाँव सैदपुर के पास था। हालाँकि भाई लालो आर्थिक रूप से कमजोर थे, लेकिन उनकी आस्था और विश्वास बहुत मजबूत थे। मलिक भागो, जो उसी गाँव का एक अमीर साहूकार था, ने एक भव्य भोज का आयोजन किया और बाबा नानक को आमंत्रित किया। लेकिन बाबा नानक ने जाने से मना कर दिया। इससे क्रोधित होकर मलिक भागो बाबा नानक के पास आया और कहा कि उनके पास 36 प्रकार के व्यंजन तैयार हैं, फिर भी वे क्यों नहीं आए।
मलिक भागो का घमंड तोड़ने के लिए, बाबा नानक ने एक हाथ में मलिक भागो की रोटी और दूसरे हाथ में भाई लालो की रोटी ली। चमत्कार देखिए, भाई लालो की रोटी से दूध निकला और मलिक भागो की रोटी से खून! बाबा नानक ने स्पष्ट किया, “मलिक भागो, भाई लालो अपनी मेहनत से रोटी कमाता है। उसका खाना पवित्र है। तुम लोगों के अधिकारों का हनन कर रहे हो।” यह दृश्य देखकर सभी लोग दंग रह गए। मलिक भागो का घमंड टूटा और उसने बाबा नानक से माफी मांगी, तथा हमेशा अपने हक और हलाल कमाने का प्रण लिया।
जब बाबा नानक ने बाबर को दी चुनौती
बाबा नानक, मेहनतकशों के पक्षधर, ने 1519 में मुग़ल शासक बाबर के आक्रमण के समय अत्याचार का खुलकर विरोध किया। उस समय बाबर ने काबुल से पंजाब पर हमला किया। बाबा नानक उस समय सैदपुर में थे, जहाँ बाबर की सेना ने लूटपाट मचाई, गरीबों को लूटा और निर्दोषों की हत्या की। निर्दोषों के नरसंहार का दृश्य देखकर, बाबा नानक ने बाबर को ललकारते हुए कहा कि “बाबर एक अत्याचारी है। तुम अपनी जीत के लिए निर्दोषों का नरसंहार कर रहे हो।” उन्होंने इस घटना का वर्णन अपनी बानी में भी किया। उस समय बाबर इतना शक्तिशाली था कि कोई भी उसकी उग्रता से डरकर धर्म की बात नहीं कर सकता था, लेकिन बाबा नानक निर्भीक होकर उसके सामने खड़े हुए।
बाबर का गुरूर और चक्की चलाने का चमत्कार
जब बाबा नानक ने बाबर को चुनौती दी, तो उसके सैनिकों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और कैद कर दिया। कैदखाने में बाबा नानक को चक्की चलाने का काम सौंपा गया। कहते हैं, जिस चक्की को ईश्वर का हाथ लग जाए, वह धन्य हो जाती है। कुदरत ने ऐसा चमत्कार किया कि चक्की अपने आप चलने लगी। जब बाबर के सैनिकों ने यह अद्भुत घटना देखी, तो उन्होंने बाबर को इसकी सूचना दी। बाबर को अपनी गलती का एहसास हुआ और खुद आकर बाबा नानक को रिहा कर दिया। रिहाई के बाद, बाबा नानक ने बाबर से कहा कि अत्याचार से प्राप्त राज्य कभी अधिक समय तक नहीं टिकता। बाबर ने अपने किए की माफी मांगी और बाबा नानक अपनी यात्रा पर निकल पड़े।
