गिलोय: स्वास्थ्य के लिए अद्भुत औषधि और इसके लाभ

गिलोय के बारे में जानें
गिलोय, जिसे आपने कई बार सुना होगा, इसके फायदों के बारे में भी जानकारी होगी। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि इसके बारे में और भी बहुत कुछ है? आयुर्वेद में इसे एक महत्वपूर्ण रसायन माना गया है, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है।
गिलोय के पत्ते कड़वे और तीखे होते हैं, जो वात, पित्त और कफ को संतुलित करने में मदद करते हैं। यह पाचन में सहायक है, भूख बढ़ाती है और आंखों के लिए भी फायदेमंद है। गिलोय का उपयोग प्यास, जलन, डायबिटीज, कुष्ठ और पीलिया जैसी बीमारियों में किया जा सकता है। यह वीर्य और बुद्धि को बढ़ाने के साथ-साथ बुखार, उल्टी, सूखी खांसी, हिचकी, बवासीर, टीबी और मूत्र रोगों में भी लाभकारी है। विशेष रूप से, यह महिलाओं की शारीरिक कमजोरी में बहुत मददगार होती है।
गिलोय की पहचान
गिलोय की पहचान करना महत्वपूर्ण है। यह एक बड़ी लता है, जिसे अमृता या अमृतवल्ली भी कहा जाता है। इसका तना रस्सी जैसा होता है और इसके कोमल तनों से जड़ें निकलती हैं। इसके पीले और हरे फूलों के गुच्छे होते हैं, और इसके पत्ते पान के आकार के होते हैं।
गिलोय जिस पेड़ पर चढ़ती है, उस पेड़ के गुण भी इसमें समाहित होते हैं। नीम के पेड़ पर चढ़ी गिलोय को सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। आधुनिक आयुर्वेदाचार्यों के अनुसार, गिलोय हानिकारक बैक्टीरिया और पेट के कीड़ों को खत्म करने में सक्षम है। यह टीबी के जीवाणुओं की वृद्धि को रोकती है और शरीर के विभिन्न रोगाणुओं को समाप्त करती है।
गिलोय के विभिन्न नाम
गिलोय का वैज्ञानिक नाम टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया है। इसे विभिन्न भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है:
- हिंदी: गडुची, गिलोय, अमृता
- अंग्रेजी: इंडियन टिनोस्पोरा, हार्ट लीव्ड टिनोस्पोरा
- संस्कृत: गुडूची, अमृतलता
- बंगाली: गुंचा
- तमिल: अमृदवल्ली
- तेलुगु: गुडूची
- नेपाली: गुर्जो
- पंजाबी: गिलोगुलरिच
- मराठी: गुलवेल
- अरबी: गिलो
गिलोय के स्वास्थ्य लाभ
गिलोय के औषधीय गुण कई बीमारियों के उपचार में सहायक होते हैं। हालांकि, इसके उपयोग की मात्रा और विधि का सही ज्ञान होना आवश्यक है।
आंखों के रोगों में गिलोय का उपयोग
गिलोय का रस आंखों के रोगों में राहत देने में मदद करता है। 10 मिली गिलोय के रस में 1-1 ग्राम शहद और सेंधा नमक मिलाकर इसे आंखों में काजल की तरह लगाना फायदेमंद होता है।
कान की बीमारियों में गिलोय का प्रयोग
गिलोय के तने को पानी में घिसकर कान में डालने से कान का मैल निकल जाता है।
टीबी रोग में गिलोय का सेवन
गिलोय का काढ़ा टीबी के उपचार में सहायक होता है। इसे अश्वगंधा, शतावर और अन्य जड़ी-बूटियों के साथ मिलाकर सेवन किया जाता है।
डायबिटीज में गिलोय का उपयोग
गिलोय का सेवन डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद करता है।
गिलोय के सेवन की मात्रा और तरीका
गिलोय का सेवन काढ़ा या रस के रूप में किया जा सकता है। काढ़ा की मात्रा 20-30 मिली और रस की मात्रा 20 मिली होनी चाहिए।
गिलोय के नुकसान
गिलोय के कुछ नुकसान भी हो सकते हैं, जैसे कि यह डायबिटीज को कम कर सकती है। गर्भावस्था के दौरान इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
गिलोय की उपस्थिति
गिलोय भारत के विभिन्न हिस्सों में पाई जाती है, जैसे कुमाऊँ से आसाम और कर्नाटक तक। यह समुद्र तल से लगभग 1,000 मीटर की ऊँचाई पर उगती है।
गिलोय से जुड़े सामान्य प्रश्न
1- क्या सर्दियों में गिलोय का सेवन फायदेमंद है?
गिलोय सर्दियों में खांसी और जुकाम को कम करने में मदद करती है।
2- क्या गिलोय का जूस पीने से इम्यूनिटी बढ़ती है?
गिलोय इम्यूनिटी को बढ़ाने में सहायक होती है।
3- गिलोय जूस कब और कैसे पीना चाहिए?
गिलोय का जूस सुबह नाश्ते में लेना फायदेमंद होता है।
4- क्या कोरोना वायरस से बचाव के लिए गिलोय का सेवन करना चाहिए?
गिलोय इम्यूनिटी को मजबूत करने में मदद करती है, जो कोरोना वायरस से बचाव में सहायक है।