गिलोय: इम्युनिटी बढ़ाने का प्राकृतिक उपाय

कोरोना वायरस का बढ़ता प्रकोप
कोरोना वायरस एक बार फिर से भारत और विश्व में तेजी से फैल रहा है। इस स्थिति में, लोगों को अपनी सुरक्षा को लेकर अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है। इसके साथ ही, इम्युनिटी को मजबूत करने की भी जरूरत है। इस संदर्भ में, गिलोय (Tinospora Cordifolia) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
गिलोय की विशेषताएँ
गिलोय एक जंगली पौधा है, जो भारत के हर कोने में आसानी से पाया जाता है। इसकी देखभाल भी बहुत आसान है। प्राचीन समय से ऋषि-मुनियों द्वारा इसका उपयोग औषधि के रूप में किया जाता रहा है। कोरोना के बढ़ते मामलों के साथ, गिलोय का सेवन भी बढ़ गया है।
गिलोय की पहचान
गिलोय की पत्तियाँ पान की पत्तियों से मिलती-जुलती हैं, लेकिन इनका रंग गहरा होता है। यह पौधा जंगलों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
पीलिया में गिलोय का लाभ
गिलोय पीलिया (Jaundice) के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद है। गिलोय के पत्तों का रस पीने से पीलिया के लक्षणों में तेजी से सुधार होता है। नियमित सेवन से बुखार और दर्द में भी राहत मिलती है।
अस्थमा में गिलोय का उपयोग
गिलोय में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो सांस संबंधी समस्याओं में राहत प्रदान करते हैं। यह कफ को नियंत्रित करने में भी मदद करता है और फेफड़ों को साफ करता है। गिलोय में ग्लूकोसाइड, टीनोस्पोरिन, पामेरिन और टीनोस्पोरिक एसिड जैसे तत्व होते हैं, जो रक्त की कमी को दूर करने में सहायक होते हैं।
इम्युनिटी बूस्टर के रूप में गिलोय
गिलोय को इम्युनिटी बूस्टर माना जाता है। यह शरीर में प्रवेश करते ही रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और वायरल बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करता है। सर्दी-जुकाम से बचने के लिए, गिलोय के डंठल को पानी में उबालकर सेवन करें।
डेंगू से सुरक्षा
गिलोय का उपयोग डेंगू के मरीजों के उपचार में भी किया जाता है। इसमें मौजूद एंटीपायरेटिक गुण बुखार के लिए लाभकारी होते हैं। गिलोय का जूस इम्युनिटी को तेजी से बढ़ाता है, जिससे बुखार में जल्दी राहत मिलती है।