खाने का महत्व: संत प्रेमानंद जी महाराज की शिक्षाएं

संत प्रेमानंद जी महाराज ने भोजन के महत्व पर प्रकाश डाला है, यह न केवल हमारे शरीर को ऊर्जा देता है, बल्कि हमारे मन और साधना पर भी प्रभाव डालता है। उन्होंने बासी और अशुद्ध भोजन से दूर रहने, सही बर्तनों के उपयोग और भोजन के दौरान मन की स्थिति पर ध्यान देने की सलाह दी है। जानें कैसे ये बातें आपके जीवन को प्रभावित कर सकती हैं।
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खाने का महत्व: संत प्रेमानंद जी महाराज की शिक्षाएं

खाने का प्रभाव


संत प्रेमानंद जी महाराज: भोजन केवल हमारे शरीर को ऊर्जा नहीं देता, बल्कि यह हमारे मन, विचारों और साधना पर भी प्रभाव डालता है। हम जो भोजन करते हैं, वह हमारी प्रकृति और जीवनशैली को भी प्रभावित करता है। संत प्रेमानंद महाराज का कहना है कि साधक को भोजन से संबंधित विशेष नियमों का पालन करना चाहिए। हाल ही में, उन्होंने अपने प्रवचन में भोजन के महत्व और इसके जीवन पर प्रभाव के बारे में चर्चा की। आइए विस्तार से जानते हैं...


बासी और अशुद्ध भोजन से दूर रहें

महाराज जी स्पष्ट रूप से कहते हैं कि बासी भोजन का सेवन साधना में बाधा डालता है। रात का बना खाना सुबह नहीं खाना चाहिए, और सुबह का बना खाना शाम तक नहीं रखना चाहिए। दाल और रोटी जैसे अन्य ताजे व्यंजन लंबे समय बाद अशुद्ध हो जाते हैं। केवल कुछ व्यंजन जो घी या तेल में बने होते हैं, सुरक्षित रहते हैं।


प्रेमानंद जी महाराज का कहना है कि यदि भोजन में कोई बाल गिर जाए या कोई मक्खी आकर मर जाए, तो उस भोजन को तुरंत फेंक देना चाहिए। ऐसा भोजन अशुद्ध माना जाता है। इसका सेवन शुद्धता के दृष्टिकोण से अनुचित है। यह न केवल साधना को हानि पहुँचाता है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक हो सकता है।


बर्तन का महत्व

हमें उन बर्तनों के प्रति बहुत सावधान रहना चाहिए जिनसे हम खाते हैं। प्रेमानंद महाराज ने साधकों को पीतल के बर्तनों से बचने की सलाह दी है। उनके अनुसार, मिट्टी और पीतल के बर्तन साधना के लिए शुभ होते हैं। ये बर्तन शरीर और मन की शुद्धता बनाए रखते हैं।


भोजन के दौरान मन की स्थिति

प्रेमानंद महाराज का कहना है कि साधक का मन भोजन करते समय पूरी तरह स्थिर होना चाहिए। खाने के दौरान व्यक्ति को न तो भोजन पर अत्यधिक ध्यान केंद्रित करना चाहिए और न ही किसी व्यक्ति, वस्तु या स्थान के बारे में अधिक सोचना चाहिए। ऐसा करने से भोजन की गुणवत्ता और स्वभाव पर प्रभाव पड़ता है। यदि आप इस समय बहुत सोचते हैं या नकारात्मक विचार रखते हैं, तो इसके गुण भी आपके अंदर प्रवेश कर सकते हैं।


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