कीर्तिमुख: बुरी नजर से बचाने वाला देवता और उसकी पौराणिक कथा
कीर्तिमुख की कथा
किर्तिमुख की कथा
कीर्तिमुख की कहानी: आपने अक्सर देखा होगा कि कई लोग अपने घरों के बाहर एक डरावना चेहरा लगाते हैं। यह चेहरा कीर्तिमुख नामक राक्षस का है, जिसे बुरी नजर से बचाने का वरदान मिला था। मान्यता है कि इस राक्षस का चेहरा घर के बाहर लगाने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश नहीं होता।
कहा जाता है कि कीर्तिमुख नकारात्मकता को पहले ही निगल लेता है। आइए जानते हैं कि कैसे यह राक्षस देवता बना और उसे बुरी नजर से बचाने का वरदान मिला।
कीर्तिमुख की पौराणिक कथा
कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव ध्यान में थे। इसी दौरान राहू ने शिव जी के मस्तक पर स्थित चंद्रमा को ग्रहण लगा दिया, जिससे महादेव क्रोधित हो गए। उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोली और कीर्तिमुख को उत्पन्न किया, जिसका मुख सिंह के समान था। उसकी आंखों से आग निकल रही थी।
भगवान शिव ने कीर्तिमुख को आदेश दिया कि वह राहु को खा जाए। राहु ने अपनी गलती का एहसास किया और भगवान से क्षमा मांगी। शिव जी ने उसे माफ कर दिया। इस पर कीर्तिमुख ने भगवान से कहा कि उसे भूख लगी है। भगवान शिव ने उसे अपने शरीर को खाने का आदेश दिया।
शिव जी के आदेश का पालन
भगवान शिव को विश्वास नहीं था कि कीर्तिमुख इस आदेश का पालन करेगा, लेकिन उसने ऐसा किया। उसने खुद को खाना शुरू कर दिया, लेकिन भगवान ने उसे रोका और कहा कि उसका मुख यशस्वी है, इसलिए उसे खुद को नहीं खाना चाहिए। इस घटना के बाद शिव जी ने उसे अपना प्रिय गण बना लिया और उसे वरदान दिया कि जहां वह रहेगा, वहां नकारात्मकता का प्रवेश नहीं होगा।
कीर्तिमुख का देवता बनना
वरदान प्राप्त करने के बाद, कीर्तिमुख का चेहरा शुभता और सुरक्षा का प्रतीक बन गया। तब से यह मान्यता है कि जिस घर या दुकान के बाहर कीर्तिमुख का चेहरा होता है, वहां नकारात्मक शक्तियों का प्रवेश नहीं होता। यह हर प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा को निगल जाता है।
