कार्तिक मास 2025: स्नान के अद्भुत लाभ और मोक्ष का मार्ग

कार्तिक मास 2025 में स्नान के अद्भुत लाभ और धार्मिक महत्व को जानें। यह महीना मोक्ष का द्वार माना जाता है, जिसमें गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से सभी पाप समाप्त होते हैं। विशेष रूप से कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान करने से 100 अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है। जानें कैसे यह स्नान सुख, समृद्धि और आरोग्य का मार्ग प्रशस्त करता है।
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कार्तिक मास 2025: स्नान के अद्भुत लाभ और मोक्ष का मार्ग

कार्तिक मास के महत्व

कार्तिक मास 2025: स्नान के अद्भुत लाभ और मोक्ष का मार्ग

कार्तिक मास 2025Image Credit source: Media House


कार्तिक स्नान के लाभ: हिंदू धर्म में कार्तिक मास को अत्यंत पवित्र और पुण्यदायी माना जाता है। यह महीना धार्मिक दृष्टि से इतना महत्वपूर्ण है कि इसे मोक्ष का द्वार कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस मास में गंगा, यमुना या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान करने से सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान करना सौ अश्वमेध यज्ञ के समान फलदायी माना गया है।


कार्तिक स्नान का शुभ महत्व

कार्तिक माह सूर्य और चंद्रमा की विशेष स्थिति वाला होता है। यह शरद ऋतु का समय है, जब वातावरण शुद्ध और शांत रहता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दौरान ब्रह्म मुहूर्त में गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करने से शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि होती है। इसे मोक्षदायिनी स्नान कहा जाता है, क्योंकि यह आत्मा को पापों से मुक्त कर मोक्ष के मार्ग की ओर अग्रसर करता है।


पापों से मुक्ति और मोक्ष

शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक स्नान करने से व्यक्ति के पिछले जन्मों और इस जन्म के सभी पाप धुल जाते हैं। स्कंद पुराण में उल्लेख है कि कार्तिक मास में गंगा स्नान करने वाला व्यक्ति सभी पापों से मुक्त होकर विष्णुलोक को प्राप्त करता है, इसलिए इसे मोक्षदायी माना गया है।


अक्षय पुण्य और यज्ञ के समान फल

धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने से एक व्यक्ति को 100 अश्वमेध यज्ञ के बराबर फल मिलता है। जो भक्त पूरे कार्तिक मास में प्रतिदिन स्नान, दीपदान और दान करते हैं, उन्हें अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है। इस मास में किया गया हर छोटा कार्य भी कई गुना फल देता है।


देवी-देवताओं की कृपा

मान्यता है कि कार्तिक मास में भगवान विष्णु स्वयं गंगाजल में निवास करते हैं। इस कारण इस अवधि में गंगा का जल अमृतमय बन जाता है। कार्तिक पूर्णिमा की सुबह सभी देवी-देवता भी पृथ्वी पर आकर गंगा स्नान करते हैं। ऐसे में जो भक्त इस दिन गंगा स्नान करते हैं, उन पर भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और भगवान शिव की विशेष कृपा होती है।


सुख-समृद्धि और आरोग्य

कार्तिक मास में गंगा स्नान करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति, आरोग्य और समृद्धि का वास होता है। यह स्नान मानसिक तनाव और नकारात्मकता को भी दूर करता है। धर्मशास्त्रों में इसे आरोग्य प्रदायक स्नान बताया गया है।


घर पर स्नान से भी पुण्य

यदि किसी कारणवश व्यक्ति गंगा या किसी पवित्र नदी तक नहीं जा सकता, तो घर पर ही स्नान के जल में कुछ बूंदें गंगाजल मिलाकर भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए स्नान करना चाहिए। ऐसा करने से भी आंशिक रूप से वही पुण्य प्राप्त होता है जो पवित्र नदियों में स्नान से मिलता है।