कार्तिक पूर्णिमा पर तुलसी माता की विशेष आरती
तुलसी माता की आरती
तुलसी माता की आरती
कार्तिक पूर्णिमा की आरती: आज, 5 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा का पर्व मनाया जा रहा है, जिसके बाद मार्गशीर्ष मास की शुरुआत होती है। इस दिन देव दीपावली का भी आयोजन होता है, जिसे देवताओं की दिवाली कहा जाता है। काशी में देव दिवाली का विशेष महत्व है, और इस दिन भगवान शिव के साथ विष्णु जी की पूजा की जाती है। कार्तिक पूर्णिमा पर तुलसी पूजा का भी विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, तुलसी माता की आरती किए बिना तुलसी पूजा अधूरी मानी जाती है। आइए, तुलसी माता की आरती का पाठ करते हैं।
तुलसी जी की आरती (Tulsi Ji Ki Aarti Lyrics)
जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता ।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता।।
मैय्या जय तुलसी माता।।
सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर।
रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता।
मैय्या जय तुलसी माता।।
बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या।
विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता।
मैय्या जय तुलसी माता।।
हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित।
पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता।
मैय्या जय तुलसी माता।।
लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में।
मानव लोक तुम्हीं से, सुख-संपति पाता।
मैय्या जय तुलसी माता।।
हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी।
प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता।
हमारी विपद हरो तुम, कृपा करो माता।
मैय्या जय तुलसी माता।।
जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता॥
मैय्या जय तुलसी माता।।
तुलसी जी की पूजा करते समय क्या बोलना चाहिए?
कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर तुलसी की पूजा करते समय आप "ॐ सुभद्राय नमः" या "महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी" जैसे मंत्रों का जाप कर सकते हैं। इसके अलावा, "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" बोलकर तुलसी की परिक्रमा करना और पूजा के अंत में अपनी इच्छाएं व्यक्त करना भी शुभ माना जाता है।
