कार्तिक पूर्णिमा पर 365 बाती का दीपक: महत्व और विधि
365 बाती का दीपक
356 बाती का दीपक
365 Batti Diya: कार्तिक पूर्णिमा का दिन सभी पूर्णिमा तिथियों में विशेष धार्मिक महत्व रखता है, क्योंकि इस दिन देव दीपावली का उत्सव मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, देव दिवाली पर सभी देवता पृथ्वी पर आते हैं, इसलिए इसे देवताओं की दिवाली भी कहा जाता है। यह दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और महादेव की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा पर दीप जलाने और दीपदान की परंपरा प्राचीन है। कुछ लोग इस दिन 365 बाती का दीपक जलाते हैं। आइए जानते हैं कि कार्तिक पूर्णिमा पर 365 बाती का दीप जलाने से क्या लाभ होता है।
365 बाती का दीया
कार्तिक पूर्णिमा पर 365 बाती का दीपक जलाने का विशेष महत्व है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इससे पूरे वर्ष के दीपदान का पुण्य प्राप्त होता है। यह दीपक कार्तिक महीने की पूर्णिमा की शाम, विशेषकर देव-दीपावली के दिन जलाया जाता है।
365 बाती का दीया कब और कहां जलाएं?
इस दीपक को कार्तिक पूर्णिमा पर देव-दीपावली के शुभ मुहूर्त में जलाना चाहिए। इसे घर के मंदिर, तुलसी के नीचे, किसी पवित्र नदी के किनारे, या शिव और विष्णु के मंदिरों में जलाया जा सकता है। घर पर जलाते समय, दीये को नीचे एक कटोरी या मिट्टी के दीये के साथ जलाएं और तुलसी के पौधे से थोड़ी दूरी बनाए रखें।
365 बाती का दीया कैसे बनाएं और जलाएं?
- एक कटा हुआ नारियल, मिट्टी या पीतल का दीपक लें।
- कुछ बत्तियां यानी कलावा (मोली) लें।
- 15 तार के धागे लें और 25 बार लपेटें, जिससे 375 बाती बनेंगी।
- इसमें से 10 कम करके 365 कर सकते हैं।
- बची हुई 10 बातियों को 365 बातियों से बांध दें।
- दीपक में देसी घी या तिल का तेल डालें।
- बत्ती को दीपक में रखें और जलाएं।
- दीपक को रोली, चंदन, चावल आदि से सजाएं।
- जब दीपक पूरी तरह जल जाए, तो बचे हुए हिस्से को जल या भूमि में विसर्जित कर दें।
365 बाती के दीपक का महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन 365 बाती का दीपक जलाने से साल भर की सभी पूर्णिमा और पूजा का फल एक साथ प्राप्त होता है। इस दीये को घर के मंदिर, तुलसी के पौधे, पीपल के पेड़ या किसी मंदिर में जलाना बहुत शुभ माना जाता है। जो लोग रोज पूजा नहीं कर सकते, वे कार्तिक पूर्णिमा पर यह दीपक जला सकते हैं।
