कार्तिक पूर्णिमा 2025: स्नान-दान का शुभ मुहूर्त और भद्रा का प्रभाव
कार्तिक पूर्णिमा 2025 का महत्व जानें, जिसमें भद्रा का प्रभाव और स्नान-दान का शुभ मुहूर्त शामिल है। इस दिन विशेष धार्मिक अवसरों का आयोजन भी होता है, जैसे गुरु नानक जयंती और देव दीपावली। जानें कब है कार्तिक पूर्णिमा और इसके दौरान किए जाने वाले महत्वपूर्ण कार्यों के बारे में।
| Nov 4, 2025, 16:10 IST
कार्तिक पूर्णिमा 2025
कार्तिक पूर्णिमा 2025
कार्तिक पूर्णिमा 2025 स्नान-दान शुभ मुहूर्त: पूर्णिमा की तिथि को अत्यधिक पवित्र और शुभ माना जाता है। विशेषकर कार्तिक मास में आने वाली पूर्णिमा को सबसे अधिक मंगलकारी माना जाता है। इसे कार्तिक पूर्णिमा कहा जाता है, जो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में आती है। इस दिन गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व है, क्योंकि मान्यता है कि इस दिन स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
इस दिन गुरु नानक जयंती और देव दीपावली का पर्व भी मनाया जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार, इस बार की कार्तिक पूर्णिमा भद्रा के साए में रहेगी, जो इसे और भी दुर्लभ बनाती है। भद्रा काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। आइए जानते हैं कि भद्रा का प्रभाव इस बार कार्तिक पूर्णिमा पर कैसे रहेगा और स्नान-दान का शुभ मुहूर्त क्या होगा।
कार्तिक पूर्णिमा कब है (Kartik Purnima 2025 कब है)
द्रिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा की तिथि 04 नवंबर को रात 10:36 बजे से शुरू होगी और इसका समापन 05 नवंबर को शाम 6:48 बजे होगा। इस प्रकार, उदयातिथि के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा 05 नवंबर को मनाई जाएगी।
कार्तिक पूर्णिमा पर भद्रा का साया (Kartik Purnima 2025 भद्रा काल)
कार्तिक पूर्णिमा के दिन भद्रा काल सुबह 6:36 बजे से शुरू होगा और सुबह 8:44 बजे तक रहेगा। इस दौरान भद्रा धरती पर नहीं, बल्कि स्वर्गलोक में रहेंगी, इसलिए मांगलिक कार्यों में कोई बाधा नहीं आएगी।
कार्तिक पूर्णिमा स्नान-दान मुहूर्त (Kartik Purnima स्नान-दान मुहूर्त)
इस दिन स्नान-दान का विशेष महत्व है। यदि इसे शुभ मुहूर्त में किया जाए तो पुण्यफल कई गुना बढ़ जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:52 बजे से शुरू होकर 5:44 बजे तक रहेगा।
कार्तिक पूर्णिमा पूजा मुहूर्त (Kartik Purnima 2025 पूजा मुहूर्त)
कार्तिक पूर्णिमा पर सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग सुबह 6:34 बजे से 6:37 बजे तक रहेगा। इसके अलावा, अमृत काल अर्धरात्रि 2:23 बजे से शुरू होकर सुबह 3:47 बजे तक रहेगा। इन मुहूर्तों में पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
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