कलावा: पहनने का सही समय और धार्मिक महत्व

कलावा, जिसे हिंदू धर्म में पूजा-पाठ के दौरान कलाई पर बांधा जाता है, का विशेष महत्व है। यह न केवल सुरक्षा का प्रतीक है, बल्कि इसे पहनने के लिए निर्धारित समय और शुभ दिन भी हैं। जानें कि कलावा को कितने दिन तक पहनना चाहिए, इसके पीछे का धार्मिक महत्व और इसे बदलने के सही दिन के बारे में। इस लेख में कलावा से जुड़े अचूक उपायों और अशुभ कलावे के बारे में भी जानकारी दी गई है।
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कलावा: पहनने का सही समय और धार्मिक महत्व

कलावा का महत्व और पहनने की परंपरा

कलावा: पहनने का सही समय और धार्मिक महत्व


हिंदू धर्म में पूजा या अन्य मांगलिक कार्यों के दौरान कलाई पर मौली या कलावा बांधने की परंपरा है। यह रक्षा सूत्र बांधने की वैदिक परंपरा का हिस्सा है। यज्ञ के समय इसे बांधने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। पौराणिक ग्रंथों में उल्लेख है कि असुरों के राजा बलि की अमरता के लिए भगवान वामन ने उनकी कलाई पर रक्षा-सूत्र बांधा था, जिसे रक्षाबंधन का प्रतीक भी माना जाता है।


कलावा पहनने की अवधि

अधिकतर लोग कलावा बांधने के बाद उसे उतारना भूल जाते हैं, जिससे वह लंबे समय तक हाथ में बंधा रहता है। इस स्थिति में कलावा अपनी ऊर्जा देना बंद कर देता है। शास्त्रों में बताया गया है कि कलावा को केवल 21 दिन तक पहनना चाहिए, क्योंकि इस अवधि के बाद इसका रंग फीका पड़ने लगता है। इसलिए, उतरे हुए रंग का कलावा नहीं पहनना चाहिए।


कलावा का धार्मिक महत्व

हाथ में पहना जाने वाला लाल रंग का कलावा देवी दुर्गा और हनुमान जी की शक्ति का प्रतीक माना जाता है। यह मान्यता है कि लाल कलावा पहनने से व्यक्ति के भीतर सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और शुभ फल की प्राप्ति होती है।


कलावा से जुड़े उपाय

हिंदू मान्यता के अनुसार, यदि तुलसी, केले, शमी, आंवला जैसे पूजनीय पौधों को श्रद्धा से कलावा बांधा जाए, तो इससे जीवन की समस्याएं दूर होती हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति में सहायक होता है।


कलावा बदलने का सही दिन

हिंदू धर्म में कलावा पहनने और उतारने के लिए शुभ दिन निर्धारित हैं। इसे हमेशा मंगलवार या शनिवार को बदलना चाहिए, जबकि इसे किसी भी पूजा-पाठ के दौरान धारण किया जा सकता है।


अशुभ कलावा

यदि कलावा का रंग उतर गया है, तो उसे पहनना अशुभ माना जाता है। इसलिए इसे उतार देना उचित होता है। 21 दिनों के बाद, किसी अच्छे मुहूर्त में फिर से कलावा बंधवाना चाहिए। यह भी कहा गया है कि जब कलावा हाथ से उतारा जाता है, तो यह आपके आसपास की नकारात्मकता को लेकर उतरता है। ऐसे कलावे को दोबारा नहीं पहनना चाहिए। हाथ से उतारे गए कलावे को बहती नदी में प्रवाहित करना शुभ माना जाता है।