कलावा: धार्मिक महत्व और सही उपयोग के तरीके

कलावा का महत्व और उपयोग

हिंदू धर्म में कलावा या रक्षा सूत्र को अत्यधिक शुभ माना जाता है। इसे पहनने से व्यक्ति को भगवान की रक्षा और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसे हमेशा हाथ में बांधकर रखना सही नहीं है? कई लोग इसे लंबे समय तक नहीं बदलते, जिससे उन्हें नुकसान हो सकता है।
धार्मिक दृष्टिकोण से, कलावा को 15 से 21 दिनों तक बांधना शुभ माना जाता है। यह अवधि आध्यात्मिक ऊर्जा के प्रवाह और सुरक्षा के लिए पर्याप्त होती है। इसके बाद, इसे विधिपूर्वक उतारकर किसी स्वच्छ जल स्रोत, जैसे नदी या तालाब में विसर्जित करना चाहिए।
यदि कलावा को अधिक समय तक बिना बदले पहना जाए, तो उसमें नकारात्मक ऊर्जा जमा हो सकती है, जो आपके शरीर में प्रवेश कर सकती है। इसके अलावा, लगातार पहनने से कलावा में गंदगी, पसीना और धूल जमा हो जाती है, जिससे इसकी पवित्रता समाप्त हो जाती है। इससे जलन, खुजली या एलर्जी जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
धार्मिक ग्रंथ भी समय-समय पर कलावा बदलने और सही तरीके से विसर्जन करने की सलाह देते हैं। कलावा बदलने का उचित समय पूरे महीने की समाप्ति या विशेष त्योहारों जैसे राखी या सावन के अंतिम दिन होता है। यदि यह किसी पूजा या यज्ञ के लिए रखा गया हो, तो यज्ञ समाप्त होने पर इसे उतारना चाहिए।
कलावा बांधते समय साफ-सुथरे हाथों से शुभ कामना और भगवान की प्रार्थना के साथ बांधना चाहिए। फटा या पुराना कलावा पहनना उचित नहीं होता, क्योंकि इससे शुभ प्रभाव समाप्त हो सकता है।
इसलिए, याद रखें कि कलावा को 15 से 21 दिन तक ही बांधे रखें, समय-समय पर इसे बदलते रहें और पुराने कलावे को पवित्र तरीके से विसर्जित करें ताकि आपके जीवन में शुभता और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे।