एकादशी व्रत के नियम: जानें कैसे करें सही तरीके से पालन
एकादशी व्रत हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण है, जिसमें हर महीने दो बार इसका पालन किया जाता है। इस लेख में हम एकादशी व्रत के नियमों के बारे में विस्तार से जानेंगे, जैसे कि व्रत का संकल्प, पूजा विधि, और फलाहार के नियम। सही तरीके से पालन करने पर इस व्रत का फल प्राप्त होता है। जानें और अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन करें।
Jul 1, 2025, 14:26 IST
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एकादशी व्रत के नियम
एकादशी व्रत नियम: हिंदू धर्म में हर व्रत और त्योहार का विशेष महत्व होता है। साल में कुल 24 एकादशी के व्रत होते हैं, जिसमें हर महीने दो एकादशी आती हैं - एक कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में। हर एकादशी का व्रत भगवान श्री हरि विष्णु के लिए किया जाता है। इस व्रत का फल तभी मिलता है जब इसके नियमों का सही तरीके से पालन किया जाए। आइए जानते हैं एकादशी व्रत के नियम।
- एकादशी का व्रत हर महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर रखा जाता है।
- एकादशी का पारण हमेशा द्वादशी तिथि पर सूर्योदय के बाद करना चाहिए।
- इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और भगवान विष्णु की पूजा करें।
- व्रत का संकल्प लें और ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप करें।
- एकादशी के दिन फलाहार करें, जिसमें सात्विक भोजन, फल, दूध, दही, और साबूदाना शामिल हैं।
- इस दिन मन में किसी के प्रति द्वेष, क्रोध, निंदा, चुगली, या झूठ बोलने से बचें।
- एकादशी के दिन अपने घर में चावल नहीं बनाना चाहिए।
- इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- पारण के समय कांसे के बर्तन में भोजन न करें।
- मसूर की दाल और तेल से बने भोजन का सेवन न करें।
- एकादशी के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है।
- द्वादशी के दिन ब्रह्मणों को दक्षिणा देनी चाहिए।
- एकादशी व्रत के दिन ‘ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम:’ का जाप अवश्य करें।
- एकादशी व्रत की पूजा के समय भगवान विष्णु को पंचामृत, तुलसी अर्पित करें और फल, मिठाई आदि का भोग लगाएं।
- द्वादशी के दिन पारण के बाद चावल का सेवन जरूर करें।