उज्जैन का करवा चौथ मंदिर: विशेष दर्शन और प्रसाद की अनोखी परंपरा

उज्जैन का करवा चौथ मंदिर हर साल केवल एक बार खुलता है, जहां महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए उपवास रखती हैं। इस दिन माता के तीन स्वरूपों के दर्शन होते हैं और श्रद्धालुओं को विशेष प्रसाद दिया जाता है। जानें इस अनोखे मंदिर की विशेषताएँ और कैसे यह धार्मिक मान्यता से जुड़ा है।
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उज्जैन का करवा चौथ मंदिर: विशेष दर्शन और प्रसाद की अनोखी परंपरा

करवा चौथ 2025: विशेष उपवास और दर्शन

उज्जैन का करवा चौथ मंदिर: विशेष दर्शन और प्रसाद की अनोखी परंपरा

करवा चौथ मंदिर


करवा चौथ 2025 के अवसर पर, विवाहित महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए निर्जला उपवास रखेंगी और चंद्रमा की पूजा के बाद ही अपना उपवास तोड़ेंगी। उज्जैन, जो धार्मिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है, में करवा चौथ के दिन चौथ माता के मंदिर के दरवाजे खोले जाते हैं। यह अनोखा मंदिर नागदा बायपास मार्ग पर शिप्रा नदी के किनारे जीवन खेड़ी क्षेत्र में स्थित है, जहां देवी पार्वती के साथ उनकी बहुएं रिद्धि, सिद्धि, भाई लाभ, शुभ और बहन संतोषी माता विराजमान हैं।


मंदिर के व्यवस्थापक डॉ. कैलाश नागवंशी के अनुसार, यह मंदिर साल के 364 दिन बंद रहता है, लेकिन करवा चौथ पर विशेष रूप से खोला जाता है। इस दिन माता अपने भक्तों को तीन अलग-अलग स्वरूपों में दर्शन देती हैं। बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस दिन मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए आते हैं, जहां उन्हें मां कामाख्या का सिंदूर, नेपाल का रुद्राक्ष और विशेष सिक्के प्रसाद के रूप में दिए जाते हैं.


माता के विभिन्न स्वरूपों के दर्शन

करवा चौथ के दिन माता के दर्शन अलग-अलग स्वरूपों में होते हैं। सुबह माता बाल स्वरूप में, दोपहर में किशोरी स्वरूप में और शाम को एक विशेष स्वरूप में दर्शन देती हैं। इस दिन बड़ी संख्या में महिलाएं मंदिर में आती हैं, न केवल दर्शन के लिए बल्कि अपने पतियों की लंबी उम्र की कामना भी करती हैं। मंदिर में विवाहित महिलाओं के साथ-साथ कुंवारी लड़कियां भी अच्छे पति की कामना लेकर आती हैं।


प्रसाद की विशेष सामग्री

करवा चौथ माता के मंदिर के पट साल में केवल एक बार खुलते हैं। दर्शन करने आने वाली हर महिला और युवती को मां कामाख्या का सिंदूर, नेपाल का रुद्राक्ष, गर्भग्रह का सिक्का और माता रानी का तांत्रिक कपड़ा प्रसाद के रूप में दिया जाता है। डॉ. नागवंशी ने बताया कि राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के बरवाड़ा कस्बे में स्थित मां करवा चौथ के सिद्ध पीठ से इस मंदिर का संबंध है। करवा चौथ माता को इसी मंदिर से आमंत्रित कर उज्जैन लाया गया है, जिसके बाद से माता का आशीर्वाद सभी पर बना हुआ है।