इस्लाम में ताबीज पहनने की वैधता: कुरान और हदीस की रोशनी में

इस्लाम में ताबीज पहनने की प्रथा पर चर्चा करते हुए, यह लेख कुरान और हदीस के दृष्टिकोण को उजागर करता है। क्या ताबीज पहनना जायज है या इसे शिर्क माना जाता है? जानें इस्लामी शिक्षाओं के अनुसार ताबीज का महत्व और इसके पीछे की मान्यताएँ। क्या ताबीज वास्तव में सुरक्षा और सफलता का साधन है? इस लेख में इन सभी सवालों के उत्तर दिए गए हैं।
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इस्लाम में ताबीज पहनने की वैधता: कुरान और हदीस की रोशनी में

इस्लाम में ताबीज का महत्व

इस्लाम में ताबीज पहनने की वैधता: कुरान और हदीस की रोशनी में

इस्लाम में ताबीज

इस्लाम में ताबीज: इस्लाम धर्म कुरान और पैगंबर मुहम्मद की शिक्षाओं पर आधारित है, जो एकेश्वरवादी है। इस धर्म में केवल एक ईश्वर (अल्लाह) की पूजा की जाती है। इस्लाम में जायज और नाजायज की अवधारणा महत्वपूर्ण है, लेकिन फिर भी यह सवाल उठता है कि क्यों कई लोग ताबीज पहनते हैं।

ताबीज को सुरक्षा और सफलता के लिए उपयोगी माना जाता है, और मुस्लिम समुदाय में इसका प्रचलन अधिक है। आइए जानते हैं कि कुरान और हदीस इस विषय में क्या कहती हैं। क्या ताबीज पहनना इस्लाम में उचित है या नहीं? क्या वास्तव में ताबीज पहनने से सुरक्षा और सफलता मिलती है?


क्या ताबीज पहनना उचित है?

इस्लाम में ताबीज पहनना हराम माना जाता है, खासकर जब इसमें जादुई शक्तियों पर विश्वास किया जाए या कुरान की आयतों के अलावा कुछ और लिखा हो। कुछ इस्लामिक विद्वानों का मानना है कि केवल कुरान की आयतें होने पर भी ताबीज पहनना शिर्क (मूर्ति पूजा) के समान हो सकता है। कई विद्वान इसे शिर्क मानते हैं।

विशेषकर तब जब यह विश्वास किया जाए कि ताबीज से सुरक्षा या लाभ प्राप्त किया जा सकता है। यह अल्लाह की एकता के सिद्धांत के खिलाफ है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ताबीज पहनने वाले को यह यकीन होना चाहिए कि केवल अल्लाह ही रक्षा कर सकता है। ताबीज केवल एक माध्यम है, शक्ति का स्रोत नहीं।


इस्लामी शिक्षाओं के अनुसार

इस्लामी शिक्षाओं के अनुसार, आध्यात्मिक सुरक्षा के लिए ताबीज के बजाय कुरान की आयतों का पाठ करना या पैगंबर की दुआओं का पाठ करना अधिक उचित है। कुरान की आयत सूरा अल-अराफ (7:188) में कहा गया है कि किसी को भी नुकसान पहुंचाने की शक्ति नहीं है, सिवाय जो अल्लाह चाहता है। यह दर्शाता है कि इस्लाम में ताबीज की आवश्यकता नहीं है, बल्कि अल्लाह ही सच्चा रक्षक है।

पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने ताबीज को शिर्क कहा है। एक हदीस में ताबीज पहनने को शिर्क माना गया है।

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