अहोई अष्टमी: जानें माता की आरती और व्रत का महत्व

अहोई अष्टमी का व्रत हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। महिलाएं इस दिन अपने बच्चों की लंबी उम्र और स्वास्थ्य के लिए व्रत करती हैं। इस व्रत का पालन निर्जला किया जाता है और इसे करवा चौथ के चार दिन बाद रखा जाता है। 13 अक्टूबर को अहोई अष्टमी का व्रत होगा, जिसमें माता की आरती का पाठ करना अनिवार्य है। जानें इस दिन की विशेषताएं और आरती का महत्व।
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अहोई अष्टमी: जानें माता की आरती और व्रत का महत्व

अहोई अष्टमी का महत्व

अहोई अष्टमी: जानें माता की आरती और व्रत का महत्व

अहोई अष्टमी आरती

Ahoi Mata ki Aarti: हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत मनाया जाता है, जो करवा चौथ के चार दिन बाद आता है। यह व्रत महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और स्वास्थ्य के लिए करती हैं। इस दिन निर्जला व्रत रखने का विधान है। इसके अतिरिक्त, संतान प्राप्ति की इच्छा से भी महिलाएं इस व्रत को करती हैं। इस साल, अहोई अष्टमी का व्रत 13 अक्टूबर को रखा जाएगा। इस अवसर पर अहोई माता की आरती करना आवश्यक माना जाता है। आइए, हम अहोई माता की आरती का पाठ करते हैं।

अहोई माता की आरती (Ahoi Mata ki aarti)

जय अहोई माता, जय अहोई माता!

तुमको निसदिन ध्यावत हर विष्णु विधाता। टेक।।

ब्राह्मणी, रुद्राणी, कमला तू ही है जगमाता।

सूर्य-चंद्रमा ध्यावत नारद ऋषि गाता।। जय।।

माता रूप निरंजन सुख-सम्पत्ति दाता।।

जो कोई तुमको ध्यावत नित मंगल पाता।। जय।।

तू ही पाताल बसंती, तू ही है शुभदाता।

कर्म-प्रभाव प्रकाशक जगनिधि से त्राता।। जय।।

जिस घर थारो वासा वाहि में गुण आता।।

कर न सके सोई कर ले मन नहीं धड़काता।। जय।।

तुम बिन सुख न होवे न कोई पुत्र पाता।

खान-पान का वैभव तुम बिन नहीं आता।। जय।।

शुभ गुण सुंदर युक्ता क्षीर निधि जाता।

रतन चतुर्दश तोकू कोई नहीं पाता।। जय।।

श्री अहोई मां की आरती जो कोई गाता।

उर उमंग अति उपजे पाप उतर जाता।।

अहोई अष्टमी का व्रत कब खुलेगा? (Ahoi Ashtami vrat parana)

पंचांग के अनुसार, अहोई अष्टमी पर शाम में तारों को देखने का शुभ समय 13 अक्टूबर को शाम 06:17 मिनट से है। इस समय व्रती महिलाएं तारों को देखकर अपना व्रत खोल सकती हैं।