अगहन अमावस्या 2025: विशेष उपाय और महत्व

अगहन अमावस्या 2025 का महत्व और इस दिन किए जाने वाले विशेष उपायों के बारे में जानें। यह दिन पितरों को प्रसन्न करने और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। जानें कि इस दिन क्या करना चाहिए और कब मनाई जाएगी अगहन अमावस्या।
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अगहन अमावस्या का महत्व

मार्गशीर्ष माह की अमावस्या को अगहन अमावस्या कहा जाता है, जो भगवान कृष्ण और चंद्र देव को समर्पित है। यह तिथि पितरों के लिए भी महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन पितरों को प्रसन्न करने और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने का एक सुनहरा अवसर होता है। मान्यता है कि अमावस्या की रात किए गए कार्यों का फल तुरंत मिलता है। इस विशेष रात में कई उपाय किए जाते हैं, जिनके बारे में हम आगे जानेंगे।


अगहन अमावस्या कब मनाई जाएगी?

द्रिक पंचांग के अनुसार, अगहन अमावस्या 9 नवंबर 2025 को सुबह 9:43 बजे शुरू होगी और इसका समापन 20 नवंबर को दोपहर 12:16 बजे होगा। उदयातिथि के अनुसार, इस दिन अमावस्या का पर्व मनाया जाएगा।


अमावस्या की रात के उपाय


  • अमावस्या की रात पीपल के नीचे सरसों के तेल का चौमुखा दीपक जलाएं। दीपक जलाने के बाद पीछे मुड़कर न देखें। पीपल के पेड़ को पितरों का वास माना जाता है, और इस उपाय से पितर प्रसन्न होते हैं।

  • इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करें और रात को किसी गरीब या ब्राह्मण को काले तिल, अन्न, या वस्त्र का दान करें। इससे पितृ दोष शांत होता है।

  • मुख्य द्वार पर रात को एक दीपक जलाना न भूलें, इससे घर में सुख-शांति बनी रहती है।

  • घर के मंदिर में बैठकर श्रीमद्भागवत गीता के 11वें अध्याय का पाठ करें। इससे पितरों को मोक्ष और आत्मा को शांति मिलती है।