हस्तरेखा शास्त्र: विवाह के बाद भाग्य रेखा के संकेत
हस्तरेखा शास्त्र का महत्व
हस्तरेखा शास्त्र में हथेली की लकीरों को जीवन का दर्पण माना जाता है। इनमें सबसे प्रमुख होती है 'भाग्य रेखा', जो न केवल आपके करियर और वित्तीय स्थिति को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि आपके जीवन का सुनहरा समय कब शुरू होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि कई लोगों का भाग्य विवाह के बाद खुलता है। ऐसे व्यक्तियों की किस्मत तब चमकती है जब उनका विवाह किसी योग्य साथी से होता है। विवाह से पहले, इनका जीवन संघर्षों से भरा होता है और मेहनत का फल नहीं मिलता।
भाग्य रेखा की स्थिति
आमतौर पर भाग्य रेखा कलाई के पास से शुरू होकर मध्यमा उंगली के नीचे स्थित शनि पर्वत तक जाती है। यदि यह रेखा बिना किसी रुकावट के शनि पर्वत तक पहुंचती है, तो जातक को जीवन के हर चरण में सफलता और भाग्य का साथ मिलता है। हस्तरेखा का अध्ययन करते समय पुरुषों का दाहिना हाथ और महिलाओं का बायां हाथ देखना महत्वपूर्ण माना जाता है।
विवाह के बाद भाग्योदय के संकेत
यदि भाग्य रेखा शुक्र पर्वत से शुरू होती है, तो यह संकेत देती है कि जातक का भाग्योदय विवाह के बाद होता है। ऐसे व्यक्तियों को विवाह के बाद मानसिक सहयोग और ससुराल से आर्थिक लाभ मिलने की संभावना होती है। ये लोग प्रेम में भी भाग्यशाली होते हैं और उनका व्यक्तित्व आकर्षक होता है। हालांकि, यदि इस रेखा की स्थिति ठीक नहीं है, तो उम्र बढ़ने पर संघर्ष बढ़ सकता है।
भाग्य रेखा की विशेषताएँ
भाग्य रेखा का स्वरूप जातक के जीवन के संघर्ष और सुखों को दर्शाता है। जितनी साफ और गहरी यह रेखा होगी, उतनी ही अधिक शुभ मानी जाएगी। ऐसी रेखा व्यक्ति को बिना किसी बड़ी बाधा के सफलता दिलाती है।
टूटी या आड़ी-तिरछी रेखा
यदि भाग्य रेखा जगह-जगह से टूटी हुई है या छोटी रेखाएं इसे काट रही हैं, तो यह जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव और बाधाओं का संकेत है। ऐसे व्यक्तियों को कार्यों में बार-बार रुकावटों का सामना करना पड़ सकता है।
जीवन रेखा और भाग्य रेखा का मिलन
जब भाग्य रेखा जीवन रेखा को काटती है, तो उस बिंदु पर व्यक्ति को कठिन समय, आर्थिक हानि या स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। यह स्थिति व्यापार में दिवालिया होने या किसी बड़ी दुर्घटना का संकेत भी देती है।
