रविवार को सूर्य देव की उपासना: सूर्य चालीसा का महत्व और लाभ

रविवार का दिन हिंदू धर्म में सूर्य देव की पूजा के लिए विशेष माना जाता है। इस दिन सूर्य चालीसा का पाठ करना अत्यंत लाभकारी होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, सूर्य चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। जानें सूर्य चालीसा के बोल और इसके पाठ के लाभ, जो आपके जीवन में सुख और शांति ला सकते हैं।
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सूर्य देव की उपासना का महत्व

हिंदू धर्म में रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित माना जाता है। इस दिन भक्त विशेष रूप से सूर्य देव की पूजा करते हैं और उन्हें अर्घ्य अर्पित करते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देना अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। इसके साथ ही, रविवार को सूर्य चालीसा का पाठ करना भी उतना ही लाभकारी है। कहा जाता है कि सूर्य चालीसा का पाठ करने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं, जिससे व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।


सूर्य चालीसा के बोल

सूर्य चालीसा हिंदी में (Surya Chalisa lyrics)


दोहा


कनक बदन कुंडल मकर, मुक्ता माला अंग।


पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के संग।।


चौपाई


जय सविता जय जयति दिवाकर, सहस्रांशु सप्ताश्व तिमिरहर।


भानु, पतंग, मरीची, भास्कर, सविता, हंस, सुनूर, विभाकर।


विवस्वान, आदित्य, विकर्तन, मार्तण्ड, हरिरूप, विरोचन।


अम्बरमणि, खग, रवि कहलाते, वेद हिरण्यगर्भ कह गाते।


सहस्रांशु, प्रद्योतन, कहि कहि, मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि।


अरुण सदृश सारथी मनोहर, हांकत हय साता चढ़ि रथ पर।


मंडल की महिमा अति न्यारी, तेज रूप केरी बलिहारी।


उच्चैश्रवा सदृश हय जोते, देखि पुरन्दर लज्जित होते।


मित्र, मरीचि, भानु, अरुण, भास्कर, सविता,


सूर्य, अर्क, खग, कलिहर, पूषा, रवि,


आदित्य, नाम लै, हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै।


द्वादस नाम प्रेम सो गावैं, मस्तक बारह बार नवावै।


चार पदारथ सो जन पावै, दुख दारिद्र अघ पुंज नसावै।


नमस्कार को चमत्कार यह, विधि हरिहर कौ कृपासार यह।


सेवै भानु तुमहिं मन लाई, अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई।


बारह नाम उच्चारन करते, सहस जनम के पातक टरते।


उपाख्यान जो करते तवजन, रिपु सों जमलहते सोतेहि छन।


छन सुत जुत परिवार बढ़तु है, प्रबलमोह को फंद कटतु है।


अर्क शीश को रक्षा करते, रवि ललाट पर नित्य बिहरते।


सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत, कर्ण देश पर दिनकर छाजत।


भानु नासिका वास करहु नित, भास्कर करत सदा मुख कौ हित।


ओठ रहैं पर्जन्य हमारे, रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे।


कंठ सुवर्ण रेत की शोभा, तिग्मतेजसः कांधे लोभा।


पूषा बाहु मित्र पीठहिं पर, त्वष्टा-वरुण रहम सुउष्णकर।


युगल हाथ पर रक्षा कारन, भानुमान उरसर्मं सुउदरचन।


बसत नाभि आदित्य मनोहर, कटि मंह हंस, रहत मन मुदभर।


जंघा गोपति, सविता बासा, गुप्त दिवाकर करत हुलासा।


विवस्वान पद की रखवारी, बाहर बसते नित तम हारी।


सहस्रांशु, सर्वांग सम्हारै, रक्षा कवच विचित्र विचारे।


अस जोजजन अपने न माहीं, भय जग बीज करहुं तेहि नाहीं।


दरिद्र कुष्ट तेहिं कबहुं न व्यापै, जोजन याको मन मंह जापै।


अंधकार जग का जो हरता, नव प्रकाश से आनन्द भरता।


ग्रह गन ग्रसि न मिटावत जाही, कोटि बार मैं प्रनवौं ताही।


मन्द सदृश सुतजग में जाके, धर्मराज सम अद्भुत बांके।


धन्य-धन्य तुम दिनमनि देवा, किया करत सुरमुनि नर सेवा।


भक्ति भावयुत पूर्ण नियम सों, दूर हटत सो भव के भ्रम सों।


परम धन्य सो नर तनधारी, हैं प्रसन्न जेहि पर तम हारी।


अरुण माघ महं सूर्य फाल्गुन, मध वेदांगनाम रवि उदय।


भानु उदय वैसाख गिनावै, ज्येष्ठ इन्द्र आषाढ़ रवि गावै।


यम भादों आश्विन हिमरेता, कातिक होत दिवाकर नेता।


अगहन भिन्न विष्णु हैं पूसहिं, पुरुष नाम रवि हैं मलमासहिं।


दोहा


भानु चालीसा प्रेम युत, गावहिं जे नर नित्य।


सुख सम्पत्ति लहै विविध, होंहि सदा कृतकृत्य।।


सूर्य चालीसा के लाभ

धार्मिक मान्यता के अनुसार, सूर्य चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक समस्याओं से मुक्ति, लंबी उम्र और रोगों से राहत मिलती है। यह पाठ यश, मान-सम्मान और आत्मविश्वास को भी बढ़ाता है। ज्योतिष के अनुसार, सूर्य चालीसा का पाठ करने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है, जिससे जीवन में सुख, शांति और सफलता का संचार होता है।


शक्तिशाली सूर्य मंत्र


  • ॐ घृणि सूर्याय नम:

  • ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः

  • ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा

  • ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ

  • ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः

  • ॐ मरीचये नमः