गुरुवार का महत्व: बृहस्पति देव की पूजा और व्रत

गुरुवार का दिन विशेष महत्व रखता है, खासकर बृहस्पति देव की पूजा के संदर्भ में। इस दिन मार्गशीर्ष अमावस्या मनाई जाती है, जो भगवान विष्णु और बृहस्पति देव को समर्पित है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन व्रत रखने से कुंडली में गुरु की स्थिति मजबूत होती है, जिससे करियर और व्यवसाय में सफलता मिलती है। जानें बृहस्पति देव के 108 नाम और इस दिन की पूजा विधि के बारे में।
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गुरुवार का दिन और बृहस्पति देव का पूजन

गुरु मंत्र: आज गुरुवार है, और इस दिन मार्गशीर्ष अमावस्या का पर्व मनाया जा रहा है। यह दिन भगवान विष्णु और बृहस्पति देव को समर्पित है। भक्तिभाव से इस दिन भगवान विष्णु और बृहस्पति देव की पूजा की जाती है। इसके साथ ही, गुरुवार का व्रत भी रखा जाता है, जो कि भगवान विष्णु और बृहस्पति देव की कृपा प्राप्त करने का एक शुभ अवसर माना जाता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, गुरुवार का व्रत रखने और बृहस्पति देव के नामों का जप करने से कुंडली में गुरु की स्थिति मजबूत होती है। यदि किसी की कुंडली में गुरु मजबूत है, तो उसे करियर और व्यवसाय में इच्छित सफलता प्राप्त होती है, साथ ही जीवन में सुख और समृद्धि भी बढ़ती है। इसलिए, पूजा के समय बृहस्पति देव के नामों का जप करना आवश्यक है।

बृहस्पति देव के 108 नाम

  • ॐ गुरवे नमः
  • ॐ गुणाकराय नमः
  • ॐ गोप्त्रे नमः
  • ॐ गोचराय नमः
  • ॐ गोपतिप्रियाय नमः
  • ॐ गुणिने नमः
  • ॐ गुणवंतांश्रेष्ठाय नमः
  • ॐ गुरूनां गुरवे नमः
  • ॐ अव्ययाय नमः
  • ॐ जेत्रे नमः
  • ॐ जयंताय नमः
  • ॐ जयदाय नमः
  • ॐ जीवाय नमः
  • ॐ अनंताय नमः
  • ॐ जयावहाय नमः
  • ॐ अंगीरसाय नमः
  • ॐ अध्वरासक्ताय नमः
  • ॐ विविक्ताय नमः
  • ॐ अध्वरकृते नमः
  • ॐ पराय नमः
  • ॐ वाचस्पतये नमः
  • ॐ वशिने नमः
  • ॐ वश्याय नमः
  • ॐ वरिष्ठाय नमः
  • ॐ वाग्विचक्षणाय नमः
  • ॐ चित्तशुद्धिकराय नमः
  • ॐ श्रीमते नमः
  • ॐ चैत्राय नमः
  • ॐ चित्रशिखंडिजाय नमः
  • ॐ बृहद्रथाय नमः
  • ॐ बृहद्भानवे नमः
  • ॐ बृहस्पतये नमः
  • ॐ अभीष्टदाय नमः
  • ॐ सुराचार्याय नमः
  • ॐ सुराराध्याय नमः
  • ॐ सुरकार्यहितंकराय नमः
  • ॐ गीर्वाणपोषकाय नमः
  • ॐ धन्याय नमः
  • ॐ गीष्पतये नमः
  • ॐ गिरीशाय नमः
  • ॐ अनघाय नमः
  • ॐ धीवराय नमः
  • ॐ धीषणाय नमः
  • ॐ दिव्यभूषणाय नमः
  • ॐ धनुर्धराय नमः
  • ॐ दैत्रहंत्रे नमः
  • ॐ दयापराय नमः
  • ॐ दयाकराय नमः
  • ॐ दारिद्र्यनाशनाय नमः
  • ॐ धन्याय नमः
  • ॐ दक्षिणायन संभवाय नमः
  • ॐ धनुर्मीनाधिपाय नमः
  • ॐ देवाय नमः
  • ॐ धनुर्बाणधराय नमः
  • ॐ हरये नमः
  • ॐ सर्वागमज्ञाय नमः
  • ॐ सर्वज्ञाय नमः
  • ॐ सर्ववेदांतविद्वराय नमः
  • ॐ ब्रह्मपुत्राय नमः
  • ॐ ब्राह्मणेशाय नमः
  • ॐ ब्रह्मविद्याविशारदाय नमः
  • ॐ समानाधिकनिर्मुक्ताय नमः
  • ॐ सर्वलोकवशंवदाय नमः
  • ॐ ससुरासुरगंधर्ववंदिताय नमः
  • ॐ सत्यभाषणाय नमः
  • ॐ सुरॆंद्रवंद्याय नमः
  • ॐ देवाचार्याय नमः
  • ॐ अनंतसामर्थ्याय नमः
  • ॐ वेदसिद्धांतपारंगाय नमः
  • ॐ सदानंदाय नमः
  • ॐ पीडाहराय नमः
  • ॐ वाचस्पतये नमः
  • ॐ पीतवाससे नमः
  • ॐ अद्वितीयरूपाय नमः
  • ॐ लंबकूर्चाय नमः
  • ॐ प्रकृष्टनेत्राय नमः
  • ॐ विप्राणांपतये नमः
  • ॐ भार्गवशिष्याय नमः
  • ॐ विपन्नहितकराय नमः
  • ॐ बृहस्पतये नमः
  • ॐ सुराचार्याय नमः
  • ॐ दयावते नमः
  • ॐ शुभलक्षणाय नमः
  • ॐ लोकत्रयगुरवे नमः
  • ॐ सर्वतोविभवे नमः
  • ॐ सर्वेशाय नमः
  • ॐ सर्वदाहृष्टाय नमः
  • ॐ सर्वगाय नमः
  • ॐ सर्वपूजिताय नमः
  • ॐ अक्रोधनाय नमः
  • ॐ मुनिश्रेष्ठाय नमः
  • ॐ नीतिकर्त्रे नमः
  • ॐ जगत्पित्रे नमः
  • ॐ सुरसैन्याय नमः
  • ॐ विपन्नत्राणहेतवे नमः
  • ॐ विश्वयोनये नमः
  • ॐ अनयोनिजाय नमः
  • ॐ भूर्भुवाय नमः
  • ॐ धनदात्रे नमः
  • ॐ भर्त्रे नमः
  • ॐ जीवाय नमः
  • ॐ महाबलाय नमः
  • ॐ काश्यपप्रियाय नमः
  • ॐ अभीष्टफलदाय नमः
  • ॐ विश्वात्मने नमः
  • ॐ विश्वकर्त्रे नमः
  • ॐ श्रीमते नमः
  • ॐ शुभग्रहाय नमः

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